मंगलवार, 23 अगस्त 2016

जन्माष्टमी के अवसर पर


जन्माष्टमी के अवसर पर


सबको है अब प्रतीक्षा
कान्हा तेरे आने की ,
बंसी के बजाने की
माखन के चुराने की ।

माँ यशुमति के हाथों
कान्हा बहुत सजे हो ,
मुझको भी मिले मौका
अब तुमको सजाने का ।

तेरी मोहिनी छवि को
लग जाए ना नजर ,
काला लगा दूँ टीका
नटखट जरा ठहर !

इस साँवली सलोनी
सूरत पे वारी जाऊँ ,
ना देखे और कोई
दिल में तुम्हें छुपाऊँ ।

ये स्वार्थ है या लालच
चाहे जो भी नाम दे दो ,
पर कुछ पलों को अपनी
सेवा का काम दे दो ।

व्यापे ना मोह कोई
मोहन तुम्हीं बचाना ,
अर्जुन के सारथी थे
मेरी नाव भी चलाना ।
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