शुक्रवार, 12 अगस्त 2016

पेड़ - एक अमानत

ठहरो, कुल्हाड़ी ना चलाओ !
इसकी बलि लेकर पाप ना कमाओ !
एक साधारण सा पेड़ है ये तुम्हारे लिए !
पर क्या जानते हो,
पेड़ कभी साधारण नहीं होता !!!!!

पेड़.....
एक कविता है,
माटी की रची हुई,
सँभालकर रखो उसे
बाँचनी है अगली पीढ़ियों को भी।

पेड़....
एक गीत है,
पंछियों के सुरीले कंठ का,
लिखकर रखो उसे
गाना है अगली पीढ़ियों को भी।

पेड़....
एक चित्र है,
किसी अनजान चित्रकार का,
फीका ना पड़ने दो,
निरखना है अगली पीढ़ियों को भी।

पेड़....
एक मूर्ति है,
जग के निर्माता की,
सुरक्षित रखो उसे
दर्शन करने हैं अगली पीढ़ियों को भी।

पेड़....
एक विरासत है,
धरती की अमानत है,
सँजोकर रखो उसे
सौंपनी है अगली पीढ़ियों को।

पेड़... 
धरती की साँसें हैं,
पेड़ बचेंगे तो धरती बचेगी,
धरती बचेगी तो तुम बचोगे,
याद रखो,
ये अगली पीढ़ियों की अमानत है
पेड़ कभी साधारण नहीं होता !!!!!
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2 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (27-07-2020) को 'कैनवास' में इस बार मीना शर्मा जी की रचनाएँ (चर्चा अंक 3775) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    हमारी विशेष प्रस्तुति 'कैनवास' (संपूर्ण प्रस्तुति में सिर्फ़ आपकी विशिष्ट रचनाएँ सम्मिलित हैं ) में आपकी यह प्रस्तुति सम्मिलित की गई है।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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