रविवार, 7 जनवरी 2024

मत पूछो !

किसने कितना साथ निभाया
मत पूछो !
कौन है अपना, कौन पराया
मत पूछो !

सबक दे गया मुझको
हर मिलने वाला,
किसने कौन सा पाठ पढ़ाया
मत पूछो !

जिसका जीवन जलता
जग की भट्टी में,
कैसे उसको जीना आया
मत पूछो !

चादर की लंबाई नाप 
ना पाया जो,
उसने कितना पग फैलाया,
मत पूछो !

सबको मालूम, दुनिया एक
सराय है !
देगा कितना, कौन किराया
मत पूछो !

फटते बादल, दरके पर्वत,
झुलसे जंगल !
क्यूँ कुदरत को गुस्सा आया
मत पूछो !


14 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर . नव वर्ष की मंगल कामनाएं.

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 08 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. वाह! सखी मीना जी ,बहुत खूब!

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  4. जीवन की हक़ीक़त बयान करता सुंदर गीत !

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  5. बहुत लाजवाब भावपूर्ण रचना …

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  6. बहुत सुन्दर रचना।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. जिसका जीवन जलता
    जग की भट्टी में,
    कैसे उसको जीना आया
    मत पूछो !
    वाह!!!
    क्या बात..
    लाजवाब, अद्भुत।👌👌

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  8. सबको मालूम, दुनिया एक
    सराय है !
    देगा कितना, कौन किराया
    मत पूछो !///
    👌👌 सभी बंध बहुत प्रभावी है प्रिय मीना!!

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  9. वाह!! कितनी सुंदर कविता है!!
    सबको मालूम, दुनिया एक
    सराय है !
    देगा कितना, कौन किराया
    मत पूछो !
    - ये पंक्तियाँ सबसे अच्छी लगीं

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