किसने कितना साथ निभाया
मत पूछो !
कौन है अपना, कौन पराया
मत पूछो !
सबक दे गया मुझको
हर मिलने वाला,
किसने कौन सा पाठ पढ़ाया
मत पूछो !
जिसका जीवन जलता
जग की भट्टी में,
कैसे उसको जीना आया
मत पूछो !
चादर की लंबाई नाप
ना पाया जो,
उसने कितना पग फैलाया,
मत पूछो !
सबको मालूम, दुनिया एक
सराय है !
देगा कितना, कौन किराया
मत पूछो !
फटते बादल, दरके पर्वत,
झुलसे जंगल !
क्यूँ कुदरत को गुस्सा आया
मत पूछो !
बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंसुन्दर . नव वर्ष की मंगल कामनाएं.
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 08 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंkya baat hai!!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह! सखी मीना जी ,बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंजीवन की हक़ीक़त बयान करता सुंदर गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब भावपूर्ण रचना …
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जिसका जीवन जलता
जवाब देंहटाएंजग की भट्टी में,
कैसे उसको जीना आया
मत पूछो !
वाह!!!
क्या बात..
लाजवाब, अद्भुत।👌👌
सबको मालूम, दुनिया एक
जवाब देंहटाएंसराय है !
देगा कितना, कौन किराया
मत पूछो !///
👌👌 सभी बंध बहुत प्रभावी है प्रिय मीना!!
वाह!! कितनी सुंदर कविता है!!
जवाब देंहटाएंसबको मालूम, दुनिया एक
सराय है !
देगा कितना, कौन किराया
मत पूछो !
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