शनिवार, 12 मार्च 2022

यह भी प्रेम

तुम्हारी गर्वोक्तियाँ,

मेरी सहनशक्ति !

तुम्हारी जिद,

मेरी हार !

तुम्हारी चिडचिडाहट,

मेरी झूठी हँसी !

तुम्हारी तकलीफें,

मुझे पीड़ा !

तुम्हारा दिखावा,

मेरा अनजान बने रहना !

तुम्हारा छल,

मेरा समर्पण !

   ये सब मिलकर जो कुछ भी बनता है,

   मैं उसे भी प्रेम ही कहती हूँ।

10 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन की तमाम विसंगतियों से जूझते हुए किसी के अहंकार और जिद को सहते हुए भी सकारात्मकता के साथ जीवन रण में डटे रहना भी प्रेम ही है क्योंकि हम प्रेम दे सकते हैं पर उसे बलात हासिल नहीं कर सकते।किसी की रुखाई के बदले अपने प्रेम को क्यों मुरझाने दें।एक भावुक मन की सहज अभिव्यक्ति।सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (१३ -०३ -२०२२ ) को
    'प्रेम ...'(चर्चा अंक-४३६८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. शायद प्रेम कह भर देने से ही सच में प्रेम हो जाता है या फिर खुद वो समझा देने से। जो भी हो प्रेम ही तो है।

    जवाब देंहटाएं
  4. ये प्रेम से भी बढ़कर है क्योंकि इसके बाद भी बनी है गृहस्थी.... बसा है परिवार... और निभे हैं रिश्ते....। इस समर्पण को कोई नाम देना मुमकिन नहीं फिर कह सकते सरल सा नाम प्रेम ! और कोशिश करते है परिभाषित करने की अपनी अपनी परिभाषा से....
    दिल को छूती लाजवाब भावाभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  5. सच कभी-कभी प्रेम करना भी एक तरह की मजबूरी बन जाती है

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रेम के सिवा कुछ है भी कहाँ, गर्वोक्तियाँ, जिद और चिड़चिड़ाहट खुद से किया प्रेम है,सहनशक्ति, हार रिश्तों से किया प्रेम, यहां प्रेम के रूप और रंग बदलते हैं, पर प्रेम सदा ही रहता है हरेक के पास !

    जवाब देंहटाएं
  7. जो देना जानता है वही प्रेम कर सकता है सिर्फ लेने वाले को तो प्यार पता ही नहीं होता।
    सही कहा सुधा जी ने इसी प्यार की वजह से तो रिश्ते निभ रहें है,दिल को छूती लाजबाब सृजन जो सिर्फ आपकी कलम से ही निकल सकती थी। सादर नमन मीना जी

    जवाब देंहटाएं
  8. विभिन्न आयामों से प्रेम को तराशती सुंदर अभिव्यक्ति 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  9. तुम्हारा छल,

    मेरा समर्पण !

    ये सब मिलकर जो कुछ भी बनता है,

    मैं उसे भी प्रेम ही कहती हूँ।
    सच में, प्रेम यही है।

    जवाब देंहटाएं
  10. मेरी रचना पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों के रूप में आप सबने अपना स्नेह और आशीष बरसाया, इसके लिए मैं आप सबकी अत्यंत आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं