सोमवार, 5 जुलाई 2021

ये चाँद बरफ के टुकड़े - सा

बेबस अहसासों की रुत है,

मौसम है भीगी आँखों का ।

बहके - बहके जज्बातों में

मन जाने कैसे सँभलता है।


अँखियों की सरहद से बाहर

क्या मोल है कोई सपनों का ?

जब तक आँखों में रहता है,

हर सपना अपना लगता है। 


दिल की हथकड़ियाँ खोल भी दो,

आजाद करो अल्फ़ाज़ों को ।

दम घुटता है अरमानों का

औ' उम्र का सूरज ढलता है। 


ना सुर्ख गुलाबों के तोहफे

ना ही महके - महके रुक्के,

ना कसमें,ना वादे,ना शिकवे गिले

वो इश्क इसी को कहता है।


जब फूल मुहब्बत के फूलें,

महसूस हो खुशबू रूहानी ।

तब इत्र में डूबे गीतों का

उपहार किसी को मिलता है।


वादों के अबोले बोलों का,

अनलिखे - अधूरे नग्मों का,

इस दिल की तिजोरी में मेरी,

यादों का खजाना रहता है। 


कुछ जागी - जागी रातों में,

कुछ ठहरे - ठहरे लम्हों में,

ये चाँद बर्फ के टुकड़े सा,

पलकों में मेरी पिघलता है। 




30 टिप्‍पणियां:

  1. मीना जी
    आपकी रचना का यह बंद दिल को छू गया।

    जब फूल मुहब्बत के फूलें,
    महसूस हो खुशबू रूहानी ।
    तब इत्र में डूबे गीतों का
    उपहार किसी को मिलता है।

    बहुत सुंदर,
    साझा करने के लिए आभार।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय सर। आपसे प्रशंसा के शब्द पाना मेरी रचना और कलम की सफलता है।

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  2. वाह वाह दी जितनी खूबसूरत भावों की नक्काशी की है आपने उतनी ही मनमोहक शब्द रचना है।

    ये चाँद बर्फ के टुकड़े सा,
    पलकों में मेरी पिघलता है।
    बेहद सुंदर बिंब है और बंध लाज़वाब👌
    आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है दी।

    सप्रेम
    सादर।

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    1. प्रिय श्वेता, आभार और बहुत सारा स्नेह। आपको रचना पसंद आई, इससे मुझे बहुत खुशी हुई।

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  3. वाह, सुंदर भावों की अनुपम अभिव्यक्ति,
    अँखियों की सरहद से बाहर

    क्या मोल है कोई सपनों का ?

    जब तक आँखों में रहता है,

    हर सपना अपना लगता है। लाजवाब रचना।

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    1. जिज्ञासाजी, रचना को पसंद करके आपने प्रतिक्रिया भी दी, दिल से आभार आपका। आप भी बहुत अच्छा लिखती हैं।

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  4. खूबसूरत भाव से सजी रचना..'आजाद करो अल्फ़ाज़ों को ।

    दम घुटता है अरमानों का'

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    1. आदरणीया पम्मीजी, आपकी प्रतिक्रिया मेरी रचना की सफलता है। दिल से धन्यवाद आपका।

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  5. आपकी अभिव्यक्ति की सघनता तो मेरे लिए ईर्ष्य है ही, ये पंक्ति बड़ी सही और प्यारी भी लगी -
    जब तक आँखों में रहता है,

    हर सपना अपना लगता है।

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    1. आदरणीय विश्वमोहन सर, आप जैसे विद्वान और सुधिजन के इन शब्दों से मुझे अपार खुशी हुई। अपना मूल्यवान समय देने एवं मनोबल बढ़ाती टिप्पणी करने हेतु हृदय से आभार।

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  6. गहन भावों की अभिव्यक्ति मीना जी । अनुपम कृति । आपकी भावाभिव्यक्ति सीधी हृदय में उतरती है ।

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    1. आदरणीया मीनाजी, बहुत सारा स्नेह व आभार इन प्रशंसात्मक शब्दों के लिए।

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  7. वादों के अबोले बोलों का,

    अनलिखे - अधूरे नग्मों का,

    इस दिल की तिजोरी में मेरी,

    यादों का खजाना रहता है।

    "हर दिल तिजोरी होती है जहाँ, यादों का खजाना रहता है "मीना आपके भावाभिव्यक्ति के तो क्या कहने दिल को छू जाती है। लाजबाब सृजन ,सादर नमन आपको

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    1. प्रिय कामिनी,
      प्रशंसाभरे इन शब्दों के लिए हृदय से आभार और बहुत सारा स्नेह।

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  8. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 7 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. रचना को पाँच लिंकों में पाकर मुझे बहुत खुशी होगी। सादर आभार आदरणीया पम्मी जी।

      हटाएं
  9. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०७-०७-२०२१) को
    'तुम आयीं' (चर्चा अंक- ४११८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. अपनी रचना को चर्चामंच पर देखना मेरे लिए आनंद की बात है आदरणीया अनिता जी। हृदय से आभार आपका।

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  10. अँखियों की सरहद से बाहर
    क्या मोल है कोई सपनों का ?
    जब तक आँखों में रहता है,
    हर सपना अपना लगता है।
    वाह!!!
    ये चाँद बर्फ के टुकड़े सा,
    पलकों में मेरी पिघलता है।
    अद्भुत बिम्बों से सजी हृदयस्पर्शी लाजवाब भावाभिव्यक्ति।
    वाह वाह...

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    उत्तर
    1. इतने सुंदर शब्दों में मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया मन को उत्साह से भर गई। सादर, सस्नेह आभार सुधाजी।

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  11. जब फूल मुहब्बत के फूलें,

    महसूस हो खुशबू रूहानी ।

    तब इत्र में डूबे गीतों का

    उपहार किसी को मिलता है।
    दिल को छूती बहुत ही सुंदर रचना, मीना दी।

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  12. जब तक आँखों में रहता है, हर सपना अपना लगता है। बहुत अच्छी कविता है यह आपकी मीना जी।

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  13. वाह!मीना जी ,बेहतरीन सृजन ।

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  14. कुछ जागी - जागी रातों में,

    कुछ ठहरे - ठहरे लम्हों में,

    ये चाँद बर्फ के टुकड़े सा,

    पलकों में मेरी पिघलता है---बहुत ही अच्छी और गहन रचना। खूब बधाई मीना जी।

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  15. वाह!गहन भाव फूलों से गूंथ दिये अपने मीना जी ।
    बहुत बहुत सुंदर सृजन।
    शानदार व्यंजनाएं।

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  16. ना सुर्ख गुलाबों के तोहफे

    ना ही महके - महके रुक्के,

    ना कसमें,ना वादे,ना शिकवे गिले

    वो इश्क इसी को कहता है।
    बहुत सुंदर लगा ये पंक्तियां

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  17. अँखियों की सरहद से बाहर

    क्या मोल है कोई सपनों का ?

    जब तक आँखों में रहता है,

    हर सपना अपना लगता है।

    पढ़ तो ली थी पहले ही ,बस उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई ।
    बेहतरीन अल्फ़ाज़ आने भाव प्रकट करने के लिए
    अँखियों की सरहद से बाहर

    क्या मोल है कोई सपनों का ?

    जब तक आँखों में रहता है,

    हर सपना अपना लगता है।
    सच्ची बात ।
    बहुत खूबसूरत नज़्म हुई है ।

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  18. सच है नींद खुलने के बाद स्वप्न का कोई महत्त्व नहीं होता ... पर कुछ यादें कई बार सहलाती हैं मन को ...

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