कभी वह भी प्रकृति से जुड़ी थी,
किताबों में खोई रहती थी,
जिंदगी में क्या चाहिए, पूछने पर
जवाब देती थी - एक हरा भरा शांत कोना
और एक पुस्तकों से भरी लाइब्रेरी।
उसकी खुशियाँ भी मासूम थीं
उसी की तरह,
उसकी ख्वाहिशें भी भोली थीं
बिल्कुल उसी की तरह ।
धीरे धीरे दुनिया की नजर लगी,
उसकी ख्वाहिशें उसकी न रह गईं
उसकी खुशियों पर दूसरों की
चाहतों का रंग चढ़ गया ।
उसके बगीचे और उसकी लाइब्रेरी में
उसकी मरी हुई इच्छाओं की सड़ांध भर गई,
उसकी चिड़ियों और बुलबुलों ने
झरोखों में आकर चहकना छोड़ दिया,
तितलियाँ भी उस हरियाले कोने का
रास्ता भूल गईं ।
और हद तो तब हो गई जब
उसके विचारों का अपहरण करके
उन्हें कालकोठरी में बंद कर दिया गया ।
शायद फिरौती में माँगी गई रकम
उसकी जिंदगी से भी अधिक है,
अपनी तमाम साँसों को देकर भी वह
अपने विचारों को छुड़वा नहीं पाएगी !!!
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हटाएंमार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया अनिता जी।
हटाएंबेचारी की दर्द भरी दास्तान का सुंदर मार्मिक चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय अयंगर सर।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (26 -5-21) को "प्यार से पुकार लो" (चर्चा अंक 4077) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार प्रिय कामिनी बहन
हटाएंउसके विचारों का अपहरण करके
जवाब देंहटाएंउन्हें कालकोठरी में बंद कर दिया गया ।
शायद फिरौती में माँगी गई रकम
उसकी जिंदगी से भी अधिक है,
अपनी तमाम साँसों को देकर भी वह
अपने विचारों को छुड़वा नहीं पाएगी !
बेहतरीन रचना
बहुत बहुत आभार आदरणीय सवाई सिंह जी
हटाएंअत्यंत मार्मिक चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सुजाता जी।
हटाएंक्या न जाने, कौन सा पथ,
जवाब देंहटाएंभटकता क्यों हृदय का रथ?
बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रवीण जी।
हटाएंमार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय गगन जी
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जवाब देंहटाएंहद तो तब हो गई जब
जवाब देंहटाएंउसके विचारों का अपहरण करके
उन्हें कालकोठरी में बंद कर दिया गया ।
शायद फिरौती में माँगी गई रकम
उसकी जिंदगी से भी अधिक है,
बहुत ही मार्मिक चित्रण, मीना दी।
बहुत बहुत आभार आदरणीया ज्योति दी
हटाएंऐसा अक्सर होता है, त्याग और तमाम समझौते के बाद भी एक स्त्री की बिलकुल आम ख्वाहिश भी मार दी जाती है, हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया जिज्ञासा जी
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २८ मई २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय श्वेता
हटाएंकभी वह भी प्रकृति से जुड़ी थी,
जवाब देंहटाएंकिताबों में खोई रहती थी,
शानदार रचना
सादर..
बहुत बहुत आभार आदरणीया दीदी
हटाएंबेहद चिंतनीय और सारगर्भित अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय अरूण जी
हटाएंविचारों का अपहरण जीवन की सबसे भयंकर और दुखद त्रासदी है। मर्मस्पर्शी!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय विश्वमोहन जी
हटाएंहद तो तब हो गई जब
जवाब देंहटाएंउसके विचारों का अपहरण करके
उन्हें कालकोठरी में बंद कर दिया गया ।
दिल को छू जाने वाली अत्यंत मार्मिक रचना!
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया मनीषा जी
हटाएंओह गजब मीना जी रोंगटे खड़े हो गये सहजता से इतना मर्मस्पर्शी लिख दिया आपने ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया कुसुम कोठारी जी
हटाएंविचारों का अपहरण कर
जवाब देंहटाएंबना लिया बंदी
जीवन भर के लिए
माँग भी नहीं होती न।
फिर किसी
फिरौती की ।
गर छूटना चाहे कोई
इस कारा से
नहीं मिलती आज़ादी
और गर मिल भी गयी तो
खुद के विचार भी
कहाँ रहते अपने ।
गहन भाव लिए विचारणीय रचना ।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया संगीता दीदी
हटाएंउसकी खुशियों पर दूसरों की
जवाब देंहटाएंचाहतों का रंग चढ़ गया ।
उसके बगीचे और उसकी लाइब्रेरी में
उसकी मरी हुई इच्छाओं की सड़ांध भर गई
और दूसरों की चाहतों का रंग चढ़ने दिया उसने अपनी खुशियों पर खुशी खुशी..।बस यही भूल तो दोहराती है वह जनम जनम...अपहृत विचारों को कालकोठरी से छुड़वाने की फिरोती में साँस का एक एक कतरा लगाकर भी मरणासन्न विचारों के साथ मर जाती हैं उसकी तमाम खुशियाँ....
दिल की गहराइयों को छूती गहन चिन्तनपरक भावाभिव्यक्ति।
बड़ी गहराई से विश्लेषण किया आपने, बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया सुधा जी
हटाएंविचार फिर भी जीवित रहते हैं मन में ... बस उनकी अभिव्यक्ति पे पहरे लग जाते हैं ... बहुत गहरे भाव हैं रचना में ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीय दिगंबर सर
हटाएंप्रिय मीना, विचारों का अवरूद्ध होना किसी अभिशाप से कम नहीं। नैराश्य भाव में डूबे मन की व्यथा कथा। सार्थक रचना जो भावपूर्ण अभिव्यक्ति है मन की
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु प्रिय रेणु बहन।
हटाएंजीवेत शरद: शतम् शतम्,
जवाब देंहटाएंसुदिनं सुदिनं जन्मदिनम् ।
भवतु मंगलम् विजयीभव सर्वदा,
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। खूब खुश रहो और यशस्वी बनो। मेरा प्यार ❤️🌷🌷🎈🎈💐❤️🎂🎂
बहुत सारा स्नेह व आभार प्रिय बहना। देर से उत्तर के लिए क्षमा चाहती हूँ।
हटाएंगहन भावों की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया मीनाजी।
हटाएंउद्वेलित कर गया ...
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