शनिवार, 13 मार्च 2021

मुस्कुराए भर थे हम तो...


मुस्कुराए भर थे हम तो
देखकर उनकी तरफ,
बात थी छोटी सी, मगर
बन गई कहानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो....

उम्र तो बस उम्र थी,
बीतती चली गई।
बचपना अब भी वही,
अब भी वही नादानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

ग़र्द उस शीशे पे जाने
कब से है जमी हुई,
है नहीं आसां मिटाना
वक्त की निशानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

बादलों से फिर झरेंगे
गीत मेरे इश्क के,
सूखते दरिया में होंगी
फिर वही रवानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो.....

हर बरस बरसेगा सावन
ये बरस लौटेगा कब ?
लौटकर आती नहीं
गुजरी हुई जवानियाँ !
       मुस्कुराए भर थे हम तो......

52 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दिग्विजय भाईसाहब। आपने रचना को पसंद किया, हृदय से धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जितेन्द्र माथुर जी।

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  3. वाह दी क्या खूबसूरत गज़ल लिखी है आपने..
    शब्द-शब्द रूह में उतरता हुआ बेहद लाज़वाब दी।
    आपकी रचनाओं पर सराहना के लिए शब्द नहीं होते दी।
    सस्नेह
    सादर।

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    1. बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद प्रिय श्वेता।

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  5. बहुत सुंदर प्रिय मीना | आध्यात्मिक प्रेमिल भावों की खूबसूरत अक्कासी करती रचना व सरल शब्दों में भावनाओं का सुरीला जादू है | अपनी अभिव्यक्ति को विराम ना दो | ये गीत रुकने नहीं चाहिए | हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह इस सुंदर प्रस्तुति के लिए |

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    1. बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद प्रिय रेणु।

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  6. क्या खूब लिखा --
    गीत मेरे इश्क के,
    सूखते दरिया में होंगी
    फिर वही रवानियाँ !
    मुस्कुराए भर थे हम तो...../////
    हर बरस बरसेगा सावन
    ये बरस लौटेगा कब ?
    लौटकर आती नहीं
    गुजरी हुई जवानियाँ !
    मुस्कुराए भर थे हम तो....../////

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  7. बादलों से फिर झरेंगे
    गीत मेरे इश्क के,
    सूखते दरिया में होंगी
    फिर वही रवानियाँ !
    मुस्कुराए भर थे हम तो...
    वाह!!!
    लाजवाब गीतिका....
    सच में मीना जी आपने लेखनी का जबाव नहीं।

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  9. बादलों से फिर झरेंगे
    गीत मेरे इश्क के,
    सूखते दरिया में होंगी
    फिर वही रवानियाँ !..भावों की सुंदरतम अभिव्यक्ति, लाज़वाब पंक्तियां..

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    1. बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा

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  10. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 15 -03 -2021 ) को राजनीति वह अँधेरा है जिसे जीभर के आलोचा गया,कोसा गया...काश! कोई दीपक भी जलाता! (चर्चा अंक 4006) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय रवींद्रजी। चर्चामंच पर रचना के आने से मुझे बहुत खुशी होगी। कोई आपत्ति नहीं है। धन्यवाद।

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  11. जवानियाँ भले ही न लौटें लेकिन दरिया में तो रवानी आ ही जाएगी । निशानियां जो हैं पास और मुस्कुराहट है खास ।
    नादानी ही समझ लेते हैं ।
    खूबसूरत रचना ।

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    1. बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद आदरणीया संगीता दीदी

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  12. वाह! बहुत सुंदर सृजन आदरणीय मीना दी।
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु प्रिय अनिता

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  13. जीव न का यथार्थ सीधे-सादे शब्दों में..।
    वाह!

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीय अयंगर सर।

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  14. हर बरस बरसेगा सावन
    ये बरस लौटेगा कब ?
    लौटकर आती नहीं
    गुजरी हुई जवानियाँ !

    गई जवानी कभी लौट कर नहीं आती,अब तो बुढ़ापे का इन्तजार ही करना है, वैसे हम चाहे तो जिंदादिली रह सकते हैं,
    लाजबाव सृजन मीना जी,सादर नमन

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु प्रिय कामिनी

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  15. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया उर्मिला जी

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  16. बहुत सधी हुई सुन्दर गजल |शुभ कामनाएं |

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीय आलोक सर

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  17. सुंदर कविता...


    हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया वर्षा जी

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  18. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया ज्योति जी।

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  19. प्रेम विरह और मौसम के साथ जीवन के असल अर्थ को समेटे बहुत ही खूबसूरत गीत ... मन को छूते हुए हर बंद ... होली की बहुत शुभकामनायें ...

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीय दिगंबर सर

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  20. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया प्रीति मिश्रा जी

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  21. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीय संजय जी

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  22. उत्तर
    1. जी धन्यवाद आपका। मैं आपकी दी गई लिंक पर गई और वहाँ मुझे बहुत अच्छी रचनाएँ मिलीं। बहुत बहुत आभार।

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  23. उम्र तो बस उम्र थी,
    बीतती चली गई।
    बचपना अब भी वही,
    अब भी वही नादानियाँ !
    मुस्कुराए भर थे हम तो.....
    मनमोहक सृजन मीना जी ! आपकी लेखनी की जितनी भी प्रशंसा करूं कम होगी । बहुत सुन्दर लिखती हैं आप। सस्नेह..,

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया मीना जी

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  24. 👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन गजल👌👌👌
    हमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏

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    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया मनीषा जी

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  25. उम्र तो बस उम्र थी,
    बीतती चली गई।
    बचपना अब भी वही,
    अब भी वही नादानियाँ !
    मुस्कुराए भर थे हम तो.....
    कुछ नादानियाँ बेरुखे जीवन को खुशगवार बना देती हैं

    बहुत सुन्दर

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया कविता जी

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  26. उम्र तो बस उम्र थी,
    बीतती चली गई।

    बहुत खूब

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    1. रश्मि जी, बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु।

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