फिर कुछ बातें याद आती हैं
फिर कुछ लम्हे तड़पाते हैं !
कोई खुदा-सा हो जाता है
और हम सजदा कर जाते हैं।
रिश्तों के गहरे दरिया में
बहते हैं टूटी कश्ती से !
लहरों के संग बहते-बहते
टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं ।
सर्द है रुत, है सर्द हवा
और सर्द सुलूक तुम्हारा है !
बर्फ से ठंडे अल्फाजों से,
अपने दिल को बहलाते हैं।
एक जुनूनी बादल की,
जिद पर मौसम फिर भीगेगा !
फिर गीले होंगे खत मेरे
पंछी जिनको ले जाते हैं।
छोड़ भी देते दुनिया, पर
इस दुनिया में ही तुम भी हो !
ऐसा ही इक गीत था जो
तुमने गाया, अब हम गाते हैं।
फिर कुछ लम्हे तड़पाते हैं !
कोई खुदा-सा हो जाता है
और हम सजदा कर जाते हैं।
रिश्तों के गहरे दरिया में
बहते हैं टूटी कश्ती से !
लहरों के संग बहते-बहते
टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं ।
सर्द है रुत, है सर्द हवा
और सर्द सुलूक तुम्हारा है !
बर्फ से ठंडे अल्फाजों से,
अपने दिल को बहलाते हैं।
एक जुनूनी बादल की,
जिद पर मौसम फिर भीगेगा !
फिर गीले होंगे खत मेरे
पंछी जिनको ले जाते हैं।
छोड़ भी देते दुनिया, पर
इस दुनिया में ही तुम भी हो !
ऐसा ही इक गीत था जो
तुमने गाया, अब हम गाते हैं।
वाह दी बेहद हृदयस्पर्शी रचना...आपकी रचनाओं के भाव सदैव मन छू जाते हैं दी।
जवाब देंहटाएंरिश्तों के बहते दरिया में
जवाब देंहटाएंबहते हैं टूटी कश्ती से !
लहरों के संग बहते-बहते
टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं
बहुत खूब.... ,सादर नमन मीना जी
दिल को छूते हुए ... भीगे लफ्ज़ ...
जवाब देंहटाएंप्रेम के एहसास लिए अभिव्यक्ति ... बहुत सुन्दर रचना ...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर मीना जी !
जवाब देंहटाएंपित्ज़ा, नूडल्स और रोबोट्स के सुपर-फ़ास्ट ज़माने में ऐसा मद्धम-मद्धम दर्द भरा नग्मा अब कहाँ सुनने या पढ़ने को मिलता है !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमार्मिक एवं भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सुकून पहुंचाता सा मधुर गीत ।
जवाब देंहटाएंवाह!
"एक जुनूनी बादल की,
जवाब देंहटाएंज़िद पर मौसम फिर भीगेगा !"... वियोग के पल में भी सकारात्मक उम्मीद ... गहरे भरोसे का संकेत भी ...
आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद को पाकर अत्यंत अभिभूत हूँ। फरवरी के महीने से ही ब्लॉग जगत में सक्रिय हो पाऊँगी। सभी का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंलहरों के संग बहते-बहते
जवाब देंहटाएंटुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं
बहुत खूब... मीना जी!
एक जुनूनी बादल की,
जवाब देंहटाएंजिद पर मौसम फिर भीगेगा !
फिर गीले होंगे खत मेरे
पंछी जिनको ले जाते हैं।
बहुत प्यारी रचना जो मन के भावों की उन्मुक्त उड़ान है |लयबद्धता सोने पे सुहागे सी है | बधाई प्रिय मीना बहन | प्यारा , सुहाना चित्र रचना के भावों को विस्तार दे रहा है