शनिवार, 19 जनवरी 2019

दूर के ढोल सुहाने

दूर के ढोल सुहाने
लगते हैं
पास आने पर डराने
लगते हैं।

जिद ना करना
सितारों को कभी छूने की ।
आसमां के फूल
हाथ नहीं महकाते
उनको सहलाओ तो वे
हाथ जलाने लगते हैं।

वक्त गर साथ दे,
चूहा भी शेर होता है।
गुरुघंटाल भी गुरुओं को
सिखाने लगते हैं।
खिले फूल लगते हैं
सब को प्यारे,
फेंक दिए जाते हैं वे, जब
मुरझाने लगते हैं।

इक नया रूप निकलता है
यहाँ पर्त-दर-पर्त !
हर एक चेहरे को मुखौटे
लगाने पड़ते हैं।
महल विश्वास का
ढह जाता है पल दो पल में
जिसकी बुनियाद ही रखने में
जमाने लगते हैं।

खाली घड़े इतराने लगते हैं
आधा भरते ही,
छलकने छलछलाने लगते हैं !

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