सोमवार, 21 जनवरी 2019

पापा बहुत कुछ करते हैं



31 दिसंबर 2017 (पापा के जन्मदिन पर ली गई तस्वीर...)
मम्मी कहती उन्हें आलसी
नहीं 'वाक' पर जाते
ना जाने थोड़ा चलने से
क्यों पापा थक जाते !
पर छायादार पेड़ के जैसे
हम सब पर साया रखते हैं,
पापा कुछ नहीं करके भी
बहुत कुछ करते हैं !!!

पीहर आई हर बेटी की
सुनते हैं दुःख सुख की बातें,
जर्जर होती काया पर भी
सहते बीमारी की घातें !
भजन कीर्तन गायन से
मन की व्यथा बिसरते हैं !!!
पापा कुछ नहीं करके भी
बहुत कुछ करते हैं !!!

पोतों की बचपन लीलाएँ
देख-देख मुस्काते हैं,
मूड कभी आया तो पापा
हारमोनियम बजाते हैं !
इधर उधर बिखरी चीजों को
उठा-उठाकर रखते हैं !
पापा कुछ नहीं करके भी
बहुत कुछ करते हैं !

17 जनवरी 2019.....(पापा अस्पताल में हैं)
अस्पताल में...
वार्डबॉय से नर्सों तक, 
सबको नाच नचाते हैं !
इस कैद से मुझको रिहा करो,
वे रह-रहकर बड़बड़ाते हैं !
डॉक्टरों के सारे ताम-झाम
पापा के आगे पानी भरते हैं !

काल से लड़ते हैं मेरे बहादुर पापा
हम डरपोक बच्चे डरते हैं !
झूठमूठ कहते हैं - अब ठीक हूँ,
तब मेरी आँखों से आँसू झरते हैं !!!
पापा कुछ नहीं करके भी
बहुत कुछ करते हैं !!!


3 टिप्‍पणियां:

  1. असुरक्षा की ढही दीवारें,
    जब वे मेरे साथ खड़े थे
    छड़ी जादुई साथ हमेशा
    जब वे मेरे पास रहे थे !
    उस दिन उनके कंधे चढ़के
    जैसे गूंगे का , गुड देखा !
    दुनियां वालों ने बेटी को,खुश हो विह्वल होते देखा !

    मेला, मंदिर,गुड़ियाँ लेकर
    सिर्फ पिता बापस मिल जाएँ
    सारे पुण्यों का फल लेकर
    वही दुबारा फिर दिख जाएँ,
    बिलख बिलख के रोते मैंने
    उंगली छुटा के, जाते देखा !
    पर जब भी जब आँखें भर आईं, उनको सम्मुख बैठे देखा !

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  2. अपनी दूसरी पारी में हम कुछ ज़िद्दी हो जाते हैं, थोड़े शिथिल हो जाते हैं, थोड़े भावुक हो जाते हैं और हमारे बचपन की थोड़ी नादानियाँ भी लौट आती हैं लेकिन हमारी मुहब्बत का जज़्बा पहले से ज़्यादा जवान हो जाता है.
    नई पीढ़ी अगर हमको हमारी नई कमज़ोरियों के साथ अपना ले तो हम उनके लिए अब भी बहुत कुछ कर सकते हैं.

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  3. पीहर आई हर बेटी की
    सुनते हैं दुःख सुख की बातें,
    जर्जर होती काया पर भी
    सहते बीमारी की घातें !
    भजन कीर्तन गायन से
    मन की व्यथा बिसरते हैं !!!
    पापा कुछ नहीं करके भी
    बहुत कुछ करते हैं !!!
    पापा तो सचमुच बहुत कुछ करते हैं...माँ के करे को गिना सकते हैं बता सकते हैं पर पापा के कामों को गिनाना नामुमकिन सा है...पापा एक सकून....बरगद सी छाँव ...।
    बहुत ही भावपूर्ण लाजवाब सृजन

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