रणबाँकुरे जो देश की तकदीर लिखते हैं
मैं भला उन पर लिखूँ तो क्या लिखूँ ?आँधियों को बाजुओं में किस तरह बाँधूँ,
दो आँसुओं में किस तरह दरिया लिखूँ ?
अपने वतन के वास्ते वो देखते हैं जो,
दीवारो दर पे उनका वो सपना लिखूँ !!!
जब लगे गोली उन्हें, तो जख्म हो मुझे
कुछ इस तरह कर दे मेरे खुदा, लिखूँ !!!
दुश्मन की हरेक चाल से महफूज रहें वो
मन्नत यही माँगूँ, यही दुआ लिखूँ !!!
लौटें उठाकर हाथ में,परचम वो जीत का
कफन नहीं, कवच हो तिरंगा लिखूँ !!!
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