कोई दोस्त है ना रक़ीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है।
वो जो इश्क था, वो जुनून था,
ये जो हिज्र है, ये नसीब है।
यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करें,
यहाँ कौन इतना करीब है?
मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहाँ सबके सर पे सलीब है.....
जगजीत सिंह जी की गाई ग़ज़ल की ये पंक्तियाँ ही याद आईं सबसे पहले, जब भी किसी ने दोस्ती का नाम लिया....
मित्रता या दोस्ती के नाम पर स्वार्थ और दिखावे से दो चार होने के बाद मित्र / दोस्त/ सहेली शब्द से विश्वास उठ जाता है। ऐसे में जब कोई ऐसा मिलता है जिसमें मित्रता के झूठे वादे नहीं, ना प्रेम के ऊँचे ऊँचे ख्वाब दिखाने के बाद जमीन से आसमान पर ला पटकने का खेल, ना कोई रिश्ता जोड़ने की ख्वाहिश, ना कभी नाराजगी, ना गिले शिकवे.....जिसका दिल इतना बड़ा कि आपकी किसी बात का बुरा ना माने, जिसकी रूह इतनी मासूम कि उसके स्नेह की छाँव में सपनों को छुपाछुपी खेलने की पूरी आजादी, जिसके शुभचिंतक हाथ की पकड़ इतनी मजबूत कि मजाल है आपकी उँगली छूट जाए और आप खो जाएँ या भटक जाएँ कहीं.....
जब कोई ऐसा मिलता है तो अपनी किस्मत पर इतराना नाकाफी होता है, "आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे" गाने से भी ख़ुशी का पूरा इजहार नहीं हो पाता, ईश्वर को लाख लाख धन्यवाद देने के बाद आँखें भर आती हैं और मन कहता है -
साथी रे ! तेरे बिना भी क्या जीना....
मित्रता के लिए भारतीय संस्कृति में कृष्ण और सुदामा से अच्छा उदाहरण नहीं मिलता पर सुदामा को तो फिर भी कृष्ण तक पहुँचना पड़ा था, तब जाकर उसके दुःख दूर हुए। क्या कृष्ण को पता नहीं था कि मित्र सुदामा कितने बुरे हालातों में दिन बिता रहा है ? वे तो अंतर्यामी थे, क्या छिपा था उनसे ? पर कहते हैं ना कि वक्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। ईश्वर भी विवश हो जाता है कर्म की गति के आगे.....
शायद इसीलिए ऐसे साथी का मिलना भी मुश्किल से ही होता है पर इतना तो तय है कि जब वो मिल जाता है तो आपकी भौतिक उन्नति से ज्यादा रूहानी उन्नति होती है।
कहीं एक लेख पढ़ा था,
उसका कुछ हिस्सा इस प्रकार था -
FIND YOUR MARIGOLD
तेरा शहर कितना अजीब है।
वो जो इश्क था, वो जुनून था,
ये जो हिज्र है, ये नसीब है।
यहाँ किसका चेहरा पढ़ा करें,
यहाँ कौन इतना करीब है?
मैं किसे कहूँ मेरे साथ चल,
यहाँ सबके सर पे सलीब है.....
जगजीत सिंह जी की गाई ग़ज़ल की ये पंक्तियाँ ही याद आईं सबसे पहले, जब भी किसी ने दोस्ती का नाम लिया....
मित्रता या दोस्ती के नाम पर स्वार्थ और दिखावे से दो चार होने के बाद मित्र / दोस्त/ सहेली शब्द से विश्वास उठ जाता है। ऐसे में जब कोई ऐसा मिलता है जिसमें मित्रता के झूठे वादे नहीं, ना प्रेम के ऊँचे ऊँचे ख्वाब दिखाने के बाद जमीन से आसमान पर ला पटकने का खेल, ना कोई रिश्ता जोड़ने की ख्वाहिश, ना कभी नाराजगी, ना गिले शिकवे.....जिसका दिल इतना बड़ा कि आपकी किसी बात का बुरा ना माने, जिसकी रूह इतनी मासूम कि उसके स्नेह की छाँव में सपनों को छुपाछुपी खेलने की पूरी आजादी, जिसके शुभचिंतक हाथ की पकड़ इतनी मजबूत कि मजाल है आपकी उँगली छूट जाए और आप खो जाएँ या भटक जाएँ कहीं.....
जब कोई ऐसा मिलता है तो अपनी किस्मत पर इतराना नाकाफी होता है, "आजकल पाँव ज़मीं पर नहीं पड़ते मेरे" गाने से भी ख़ुशी का पूरा इजहार नहीं हो पाता, ईश्वर को लाख लाख धन्यवाद देने के बाद आँखें भर आती हैं और मन कहता है -
साथी रे ! तेरे बिना भी क्या जीना....
मित्रता के लिए भारतीय संस्कृति में कृष्ण और सुदामा से अच्छा उदाहरण नहीं मिलता पर सुदामा को तो फिर भी कृष्ण तक पहुँचना पड़ा था, तब जाकर उसके दुःख दूर हुए। क्या कृष्ण को पता नहीं था कि मित्र सुदामा कितने बुरे हालातों में दिन बिता रहा है ? वे तो अंतर्यामी थे, क्या छिपा था उनसे ? पर कहते हैं ना कि वक्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। ईश्वर भी विवश हो जाता है कर्म की गति के आगे.....
शायद इसीलिए ऐसे साथी का मिलना भी मुश्किल से ही होता है पर इतना तो तय है कि जब वो मिल जाता है तो आपकी भौतिक उन्नति से ज्यादा रूहानी उन्नति होती है।
कहीं एक लेख पढ़ा था,
उसका कुछ हिस्सा इस प्रकार था -
FIND YOUR MARIGOLD
The Marigold effect -
Many experienced gardeners follow a concept called companion planting: placing certain vegetables and plants near each other to improve growth for one or both plants. For example, rose growers plant garlic near their roses because it repels bugs and prevents fungal diseases. Among companion plants, the marigold is one of the best: It protects a wide variety of plants from pests and harmful weeds. If you plant a marigold beside most any garden vegetable, that vegetable will grow big and strong and healthy, protected and encouraged by its marigold.
इस तरह का कम से कम एक मेरीगोल्ड यानि गेंदे का पौधा अपने आसपास जरूर रखिए.... सिर्फ गुलाबों की खोज में मत रहिए ।
Many experienced gardeners follow a concept called companion planting: placing certain vegetables and plants near each other to improve growth for one or both plants. For example, rose growers plant garlic near their roses because it repels bugs and prevents fungal diseases. Among companion plants, the marigold is one of the best: It protects a wide variety of plants from pests and harmful weeds. If you plant a marigold beside most any garden vegetable, that vegetable will grow big and strong and healthy, protected and encouraged by its marigold.
इस तरह का कम से कम एक मेरीगोल्ड यानि गेंदे का पौधा अपने आसपास जरूर रखिए.... सिर्फ गुलाबों की खोज में मत रहिए ।
रूहानी एहसासों से लबरेज लेख!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंआत्मीयता सी उत्तम परिभाषा
जवाब देंहटाएंअच्छे साथी की तलाश में अपनी सारी उम्र मत गुज़ारिए. जो भी साथी मिले, उसमें अच्छाइयां ढूंढ़ लीजिए.
जवाब देंहटाएं