सोमवार, 24 अप्रैल 2017

समय - समय की बात

समय - समय पर,
'समय - समय की बात'
होती है...
एक ही बात,
किसी समय खास,
तो किसी और समय,
आम होती है...

मुहब्बत के इजहार का वक्त,
अब समय सारिणी बताएगी,
माँ भी बेटे से मिलने
अब समय लेकर आएगी....

हँसने का, रोने का,
रूठने - मनाने का,
चुप रहने या गाने का,
प्यार का, तकरार का,
पतझड़ का, बहार का,

हर बात का समय जनाब,
अब कीजिए मुकर्रर,
जज्बातों को आना होगा,
दिल में, समय लेकर....

आदमी अब व्यस्त है,
भावनाएँ त्रस्त हैं,
दरवाजा खटखटाती हैं,
ना खुलने पर बेचारी,
उलटे पाँवों लौट जाती हैं....

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