ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
इंतजार फिर एक बरस का ,
हमको करना पड़ता है
सुंदर सुंदर रूप तुम्हारे ,
तब कारीगर गढ़ता है ।
सबसे प्यारी सूरत चुनकर
अपने घर हम लाते हैं ,
तरह तरह के साज सजाकर
बप्पा तुम्हें मनाते हैं ।
कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
कुछ ही दिन की खातिर बप्पा,
मेरे घर तुम आते हो !
मेरे सुख - दुःख के साथी,
इतने में ही बन जाते हो ।
अभी और भी कितने किस्से,
बप्पा तुम्हें बताना था
लेकिन तुमको तो, जिस दिन
जाना था, उस दिन जाना था ।
अगले बरस जल्दी आओगे ,
सोच के यह मन गया बहल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल ! ! !