गुरुवार, 23 जनवरी 2025

साथ

पतझड़ आते ही 
बिछड़ना होता है
पत्तों को अपनी शाख से
बस, कौन सा कब छूटेगा 
यही तय नहीं होता !
जाना सबको है ।

साथी, जो खून के रिश्तों से बनते हैं
और साथी जो दिलों से बनते हैं,
साथ दें, तो साथी हैं
वरना क्या खून और क्या दिल ?
चिकित्सा विज्ञान के विद्यार्थियों के 
अभ्यास का विषय भर हैं ये !

नसीब निर्धारित करता है
किसको, किसका साथ मिलेगा ।
कभी-कभी, किसी और से 
कर्ज चुकवाने के लिए
किसी का किसी से साथ छूटता है 
या रास्ते ही अलग हो जाते हैं
या खो जाते हैं राही !
फिर कोई और हो जाता है हमराह 

कभी कोई भी नहीं मिलता,
अपना साहस ही देता है साथ
सूरज सर पर हो तो
परछाईं भी साथ छोड़ देती है !


2 टिप्‍पणियां:

  1. एक साथी जरूरी होता है
    पर साथ कौन देता है ?
    चलते चलो राही
    महसूस कर सको गर
    सच्चे साथी चल तो रहे हैं साथ
    दुःख और स्मृतियाँ...।
    ------
    मेरी प्यारी दी को सस्नेह सादर प्रणाम।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. मार्मिक रचना, जब तक उस 'असली' साथी से भेंट नहीं होती, मन जगत में साथी खोजता है, पर मृत्यु के क्षण में तो सबसे बिछड़ना ही होता है

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