इस जीवन की मरुभूमि पर
सजल सरोवर जैसे तुम !
चुभते पाषाणों के पथ पर
कोमल दूर्वादल से तुम !
पीड़ा की कज्जल बदरी ने
ढाँप दिए खुशियों के तारे,
इक तारा कसकर मुठ्ठी में,
बाँध लिया था, वह थे तुम !
ग्रीष्म ऋतु के सूरज जैसा
दाहक दंभ सहा दुनिया का,
शरद पूर्णिमा के मयंक से
झरते सुधा-बिंदु हो तुम !
इंद्रधनुष के रंगों को
नभ ने बिखराया फूलों पर,
मेरे हिस्से के रंगों की
ईश्वर - प्रदत्त धरोहर तुम !
जोड़-जोड़कर जिनको मैंने
जाने कितने गीत बुने,
मेरे गीतों के शब्दों के
पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!
कविता में आपकी आंतरिक खुशी का आभास झलक/छलक रहा है।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता में रचे बसे उस "तुम" से आपको जीवन भर ऐसी ही खुशियाँ नसीब हो।
इतनी बहुमूल्य और खुशी टपकाती कविता साझा करने हेतु आपका आभार मीना जी।
बहुत समय बाद आपके कलम से खुशी जाहिर करती रचना दिखी।
सदा खुश रहिए।
अयंगर
अयंगर जी, आप भी ब्लॉग पर वापसी करें, मेरा विनम्र निवेदन है🙏🙏
हटाएंसही कहा रेणु। यह ब्लॉग चिड़िया तो सर का ही आशीर्वाद है पर छोटों को आगे बढ़ाकर बड़े लेखन ही बंद कर दें, यह खटकता है। सर की साधी सादी परंतु सारगर्भित रचनाएँ पुनः पढ़ने को मिलेंगी तो हमारा सौभाग्य होगा।
हटाएंआदरणीय अयंगर सर, आपको धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
हटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 23-10-2020) को "मैं जब दूर चला जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3863 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत आभार एवं स्नेह आदरणीया मीना जी।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 22 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार एवं स्नेह आदरणीया यशोदा दीदी।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार एवं स्नेह प्रिय श्वेता।
हटाएंमेरे गीतों के शब्दों के
जवाब देंहटाएंपावन अक्षर - अक्षर तुम !!!
वाह!
बहुत आभार एवं स्नेह आदरणीया सधु चंद्र जी
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार एवं स्नेह प्रिय शिवम
हटाएंबस केवल अद्भुत!!!
जवाब देंहटाएंयह बहुत बड़ा आशीष है। सादर आभार !
हटाएंइंद्रधनुष के रंगों को
जवाब देंहटाएंनभ ने बिखराया फूलों पर,
मेरे हिस्से के रंगों की
ईश्वर - प्रदत्त धरोहर तुम !
वाह!!!!
अद्भुत एवं लाजवाब।
आपकी इस धरोहर पर भगवान हमेशा अपनी कृपा बनाए रखे।
प्रिय सुधा, हृदय से धन्यवाद एवं स्नेह। आपका प्रोत्साहन सदैव मिलता रहा है, बहुत बहुत आभार।
हटाएंजोड़-जोड़कर जिनको मैंने
जवाब देंहटाएंजाने कितने गीत बुने,
मेरे गीतों के शब्दों के
पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!
प्रिय मीना, इस गीत पर क्या लिखूँ?
अनुरागरत मन की सरस रागिनी, जिससे निसृत कोमल सरल निर्मल भाव सहजता से अंतस को स्पर्श कर रहे हैं.इस अभिनव सृजन पर हार्दिक शुभकामनाएं🙏 ❤❤🌹🌹भावों का ये सफर अनवरत रहे और प्रियतम का साथ अटल हो🌹🌹
बस आपका आना ही बहुत खुशी दे जाता है प्रिय बहन रेणु। बहुत सारा प्यार !!!
हटाएंबहुत ही सुंदर मन को छूती अभिव्यक्ति आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंसादर
आप सी विदुषी पाठिका ब्लॉग पर आती है और विचार प्रकट करती है यह मेरे लिए आनंद और गर्व की बात है प्रिय अनिता। हृदय से आभार व स्नेह !
हटाएंपीड़ा की कज्जल बदरी ने
जवाब देंहटाएंढाँप दिए खुशियों के तारे,
इक तारा कसकर मुठ्ठी में,
बाँध लिया था, वह थे तुम !बहुत बहुत सुन्दर |
सादर आभार एवं प्रणाम आदरणीय आलोक सिन्हा सर।
जवाब देंहटाएंबेजोड़
जवाब देंहटाएंजोड़-जोड़कर जिनको मैंने .....