काश ! ज़िंदगी कविता होती !
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँटकर,
अपने हिस्से हम लिख लेते !!!
कभी-कभी ऐसा भी होता,
मेरी बातें तुम लिख देते
और तुम्हारी लिखती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !!!
^^^^^^^^^^^^^^^^^^
काश ! ज़िंदगी कविता होती !
लिखते-लिखते दिन हो जाता,
पढ़ते-पढ़ते रातें होतीं,
लफ्जों की ही धड़कन होती,
लफ्जों की ही साँसें होतीं।
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँटकर
अपने हिस्से हम जी लेते !!!
कभी- कभी ऐसा भी होता,
मेरी साँसें तुम जी लेते
और तुम्हारी जीती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !
^^^^^^^^^^^^^^^^^
काश ! ज़िंदगी कविता होती !
तुकबंदी करते-करते हम,
इक-दूजे की 'तुक' हो जाते,
मैं हो जाती एक अंतरा
और दूसरा तुम हो जाते।
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँट कर
अपने हिस्से हम गा लेते !!!!
कभी-कभी ऐसा भी होता,
मेरा नगमा तुम गा देते
और तुम्हारा गाती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !!!
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काश ! ज़िंदगी कविता होती !!!
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँटकर,
अपने हिस्से हम लिख लेते !!!
कभी-कभी ऐसा भी होता,
मेरी बातें तुम लिख देते
और तुम्हारी लिखती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !!!
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काश ! ज़िंदगी कविता होती !
लिखते-लिखते दिन हो जाता,
पढ़ते-पढ़ते रातें होतीं,
लफ्जों की ही धड़कन होती,
लफ्जों की ही साँसें होतीं।
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँटकर
अपने हिस्से हम जी लेते !!!
कभी- कभी ऐसा भी होता,
मेरी साँसें तुम जी लेते
और तुम्हारी जीती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !
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काश ! ज़िंदगी कविता होती !
तुकबंदी करते-करते हम,
इक-दूजे की 'तुक' हो जाते,
मैं हो जाती एक अंतरा
और दूसरा तुम हो जाते।
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँट कर
अपने हिस्से हम गा लेते !!!!
कभी-कभी ऐसा भी होता,
मेरा नगमा तुम गा देते
और तुम्हारा गाती मैं !
अगर ज़िंदगी कविता होती !!!
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काश ! ज़िंदगी कविता होती !!!
जी दी
जवाब देंहटाएंजीवन ऐसी कविता है, जिसमें कभी आनंद है,तो कभी रुदन के स्वर भी..
प्रणाम।
बहुत सुन्दर सृजन 👏 👏 👏 मीना जी
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी सच में निहारें हम तो एक तुकान्त ही है ... अगर ना भी हो तो एक उपन्यास तो है ही ... जिसके नायक-नायिका हम स्वयं होते हैं ... बस भूमिका और समीक्षा अपने वश में नहीं होती ... शायद ...
जवाब देंहटाएंबेहतर संवेदना से भरी रचना ...
ज़िंदगी भी तो कविता जैसी ही है न दी कभी समझ आती है और कभी उलझ जाती है।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर अभिव्यक्ति दी..हमेशा की तरह।
जवाब देंहटाएंकाश ! ज़िंदगी कविता होती !
तुकबंदी करते-करते हम,
इक-दूजे की 'तुक' हो जाते,
मैं हो जाती एक अंतरा
और दूसरा तुम हो जाते।
थोड़ा-थोड़ा बाँट-बाँट कर
अपने हिस्से हम गा लेते !!!
प्रिय मीना म काश भावुक मन की ये कल्पना साकार हो पाती ! जीवन इतना सरल कहाँ है सखी ?!