मंगलवार, 13 नवंबर 2018

तुम रहो ना, पास यूँ ही !!!

बीत जाए ज़िंदगी का,
ना कहीं मधुमास यूँ ही !!!
तुम रहो ना, पास यूँ ही ।।

बरसने दो नेह को,
आँखों के बादलों से तुम !
हूँ अभी ज़िंदा, मुझे
होता रहे आभास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

बँध गए अनुबंध के धागे,
तो रहने दो बँधे !
प्रीत के पाखी को उड़ने
दो खुले आकाश यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

कह गईं बातें हजारों
एक खामोशी तेरी !
रह गए दिल में सिहरकर
कुछ मेरे जज्बात यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

भर गया खुशबू से दामन
इक तेरी मौजूदगी से !
खूबसूरत इन लम्हों का,
दिल में हो अहसास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

कौन जाने इस जनम,अब
हम मिलें या ना मिलें !
तेरी यादों के सहारे,
काट लूँ वनवास यूँ ही !
तुम रहो ना, पास यूँ ही।।

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना गुरुवार २५ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. कह गईं बातें हजारों
    एक खामोशी तेरी !
    रह गए दिल में सिहरकर
    कुछ मेरे जज्बात यूँ ही !
    तुम रहो ना, पास यूँ ही।।
    बहुत लाजवाब.... बस लाजवाब...
    वाह!!!

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  3. प्रिय रेणु बहन, अनिताजी, अमित जी, सुधाजी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

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