बुधवार, 21 नवंबर 2018

एक बार फिर !!!

शून्य से जाना शिखर तक, एक बार फिर !!!
आज जुड़ना है बिखरकर, एक बार फिर !!!

फिर हथेली पर खुशी के बीज बोने-सींचने हैं
फूल उम्मीदों के, खिलते देखना है फिर !!!

डूबकर गहरे समंदर, मोतियों को ढूँढ़ना है
स्याह रातों में उजाला खोजना है फिर !!!

चाह में तारों को छूने की,जले हर बार हाथ
जिद अभी भी, एक तारा तोड़ना है फिर !!!

चाँद - तारों का तो नाता, रात से हरदम रहा
रात का ख्वाबों से रिश्ता जोड़ना है फिर !!!

रेत के घर को तो ढहना था, ढहा, अच्छा हुआ
अब समंदर के किनारे खेलना है फिर !!!

हम परिंदे भाँप लेते हैं हवा की नीयतों को
आज तूफां के इरादे, जानना है फिर !!!

गर्म लावा खदबदाता है कहीं दिल की जमीं में
आग के दरिया के रुख को मोड़ना है फिर !!!









8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ फरवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. ये हौसला बरकरार रहे ..... शून्य से शिखर तक का सफर खुशनुमा रहे ।
    बहुत सुंदर ग़ज़ल ।

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  3. वाह!क्या खूब कहा। खदबदाते हुए गर्म लावा को जैसे महसूसना हुआ। उम्दा....

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  4. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (26-02-2022 ) को 'फूली सरसों खेत में, जीवित हुआ बसन्त' (चर्चा अंक 4353) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  5. वाह बहुत बहुत बहुत ही मनोबल बढ़ाती हुई खूबसूरत रचना

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  6. बहुत सुन्दर रचना , कोशिशें जारी रहें हुआ सो हुआ , मनोबल बढाती प्रेरित करती रचना , राधे राधे !

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  7. वाह!बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन दी।
    मर्मस्पर्शी....गज़ब का लिखते हो।
    सादर

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  8. डूबकर गहरे समंदर, मोतियों को ढूँढ़ना है
    स्याह रातों में उजाला खोजना है फिर !!!
    सकारात्मकता का संचार करती बहुत ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति!

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