रविवार, 19 फ़रवरी 2017

आधा चंद्र

आज गगन में,
आधा चंदा निकला है,
टूट के आधा,
कहाँ गिर गया रस्ते में ?

गिरते गिरते अटक गया,
या कहीं रास्ता भटक गया?
चलो पार्क में देखें हम,
क्या किसी पेड़ पर लटक गया ?

अगर किसी ने कैद कर लिया,
पूनम कैसे आएगी,
रात अधूरे चंदा से,
कितने दिन काम चलाएगी ?

ढूँढ़ ढूँढ़ कर हारे हम,
पहुँचे नदी किनारे हम !
पानी में कुछ चमक रहा था,
हीरे सा वह दमक रहा था ।

वही चाँद का आधा टुकड़ा,
जो आधे चंदा से बिछड़ा,
पानी में छप - छप करता था,
हिरन कुलाँचें ज्यों भरता था !

जब यह वापस जाएगा नभ,
चंद्र पूर्णता पाएगा तब ,
फिर से पूनम आएगी,
रात दुल्हन बन जाएगी !!!

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