शुक्रवार, 17 जून 2016

सच्चा सुख


सच्चा सुख

मानव जीवन कुदरत का
अनमोल तोहफा है,
ईश्वर भी नाराज उससे
जो जिंदगी से खफ़ा है ।

जन्म मानव का है,
खुद को भाग्यशाली ही समझ ।
आनंद ले हर पल का,
हर दिन को दीवाली समझ ।

जो मिल रहा है आज,
इक दिन दूर होगा सत्य है ।
सुख - दुःख चले जाते हैं,
उनको याद करना व्यर्थ है ।

याद कर बीते दिनों को,
कुछ बदल पाया कहीं ?
सूखते हैं फूल पर,
बगिया कभी रोई नहीं ।

प्रतिदिन बिछड़ता आसमान
सूर्य, चंद्र, तारों से ।
इक रोज लेनी है विदा,
तुझको भी अपने प्यारों से ।

तू स्वयं आनंद, तू ही प्रेम,
तू ही शांति है ।
सुख मिलेगा दूसरों से,
यह तो केवल भ्रांति है ।
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