सोमवार, 13 जून 2016

आनंद की खोज


आनंद की खोज


आओ साथी मिलकर खोजें,
जीवन में आनंद को,
क्रोध, ईर्ष्या, नफरत त्यागें
पाएँ परमानंद को...

जीवन की ये भागादौड़ी,
लगी रही है, लगी रहेगी,
संग अपने कुछ वक्त बिताएँ
पाएँ परमानंद को...

हर रिश्ता है नाजुक ऐसा,
जैसे हो रेशम की डोरी,
रिश्तों को मजबूत बनाएँ
पाएँ परमानंद को...

बड़ा कीमती मानव जीवन,
ईश्वर का उपहार है,
रोगमुक्त हम इसको रखें
पाएँ परमानंद को...

जीवन नाटक, इसमें हम सब
अपना-अपना काम करें,
खुद को हम कर्ता ना समझें
पाएँ परमानंद को...

जीवन पथ पर हमको अपना,
हर कर्तव्य निभाना है,
औरों के हम दोष न देखें
पाएँ परमानंद को...

आओ साथी मिलकर खोजें...
जीवन में आनंद को,
क्रोध, ईर्ष्या, नफरत त्यागें
पाएँ परमानंद को...
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2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बहु लयबद्ध, भाव व तत्व भरी भजन स्वरूप रचना.
    आनंदमयी.

    अयंगर.

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    उत्तर
    1. यह मैंने 'आनंद योग' नामक एक कार्यशाला के लिए लिखा था । धन्यवाद सर ।

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