शनिवार, 24 अगस्त 2024

कभी हो समय तो...

मेरे टूटने की ना चिंता करो तुम,
हजारों दफा टूट कर मैं जुड़ी हूँ !
जुड़ी तो जुड़ी, जोड़ती भी रही जो, 
विधाता के द्वारा गढ़ी, वह कड़ी हूँ !

उन्हें तुम सँभालो,जो हैं नर्म-ओ-नाजुक
उन्हें प्यार दो, जो हैं झोली पसारे !
अगर मेरे दिल ने गलत कुछ किया है,
तो उसको कोई दूसरा क्यूँ सँभाले ?

नहीं दोष इसमें किसी का भी कोई
मैं सब छोड़, जाने कहाँ को मुड़ी हूँ !

ये हैं किस जनम के, बँधे कर्मबंधन
मेरी रूह ने कब लिए थे वो फेरे ?
मैं बेचैन, पागल, फिरी खोज में, पर
कदम-दर-कदम थे अँधेरे, घनेरे !

किसी मोह की डोर में यूँ उलझकर   
न फिर लौट पाई, ना आगे बढ़ी हूँ !

है ख्वाहिश, तुम्हें वह मिले तुम जो चाहो,
पहुँचती रहें तुम तलक सब दुआएँ !
सुकूँ-चैन, खुशियों की हो तुम पे बारिश,
मैं लेती रहूँ सब तुम्हारी बलाएँ !

कभी हो समय तो नज़र डाल लेना,
मैं सदियों से संग में तुम्हारे खड़ी हूँ !