याद करने के लिए कोई निशानी ढूँढ़ते हो,
और जीने के लिए गुजरी जवानी ढूँढ़ते हो,
भूल से भी भूल ना पाया तुम्हें जो,
तुम खतों में क्यों भला उसकी कहानी ढूँढते हो ?
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टाल दे जब बात को दीवानगी की,
छोड़ दे जब जिद कोई करना किसी से,
तब जरा सा झाँक लेना, पार पलकों के मुँदीं जो,
चल रहे होंगे वहाँ चलचित्र उस गुजरे समय के।
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बूझ लेना गूढ़तम भाषा मेरी अभिव्यक्तियों की,
और भावों की गहनतम तलहटी में उतर जाना ।
जो लगे मन के निकट, उस गीत को साथी बनाकर
सोच का जो उच्चतम होगा, शिखर वह खोज लेना ।
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नियति के बहुरुपिए के और कितने रुप बाकी,
छाँव कितनी भाग्य में है और कितनी धूप बाकी,
वक्त गर साँसों के धागों को उलझने से बचाता,
उम्र के टुकडों को सीकर एक चादर मैं बनाती ।
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और क्या दे पाएगा तुमको भला यह मन फकीरी,
बस दुआओं में बसी है हम फकीरों की अमीरी,
शब्दकोशों में कहाँ इस अर्थ को तुम पा सकोगे,
प्रार्थनाएँ सब मेरी हैं प्रेम की पर्यायवाची !