गुरुवार, 10 जून 2021

तारे हैं दूर आसमां में

तारे हैं दूर आसमां में 

और जमीं पे हम,

बस, इक सितारा छूने का 

अरमां लिए हुए।


सबको कहाँ मिलते हैं घर, 

वादी में गुलों की।

काँटों के घरौंदों में भी, 

रहना तो सीखिए।


अच्छा किया, तुमने मेरी 

वफा पे शक किया,

कुछ और सबक सीखने थे, 

सीख ही लिए।


इस मोड़ से ऐ जिंदगी,

चल राह बदल लें,

मिलने के जो मकसद थे,

सभी हमने जी लिए ।


उठ्ठी लहर सागर से, 

किनारे पे मर मिटी।

गहराइयों के राज 

किनारों ने पढ़ लिए।


क्यूँ इस तरहा से कैद में, 

कटती है जिंदगी,

हैं दर भी, दरीचे भी,

जरा खोल लीजिए। 


है उम्र के नाटक का, 

अभी अंक आखिरी।

ना भूल सकें लोग, 

इस तरहा से खेलिए।