सोमवार, 16 सितंबर 2024

गणपति बाप्पा, मत जाओ ना !


( गणपति अपने गाँव चले, कैसे हमको चैन पड़े )

ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !

इंतजार फिर एक बरस का ,
हमको करना पड़ता है 
सुंदर सुंदर रूप तुम्हारे ,
तब कारीगर गढ़ता है ।
सबसे प्यारी सूरत चुनकर
अपने घर हम लाते हैं ,
तरह तरह के साज सजाकर
बप्पा तुम्हें मनाते हैं ।
कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !

कुछ ही दिन की खातिर बप्पा,
मेरे घर तुम आते हो !
मेरे सुख - दुःख के साथी,
इतने में ही बन जाते हो ।
अभी और भी कितने किस्से,
बप्पा तुम्हें बताना था 
लेकिन तुमको तो, जिस दिन
जाना था, उस दिन जाना था ।
अगले बरस जल्दी आओगे ,
सोच के यह मन गया बहल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !

कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल ! ! !


4 टिप्‍पणियां:

  1. गणपति बप्पा से अपनत्व भरा वार्तालाप बहुत स्नेहमयी लगा मीना जी ! मंगलमूर्ति गणपति बप्पा को समर्पित भावभीना विदाई गीत ।

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  2. क्या हम आपकी यह कविता www.kidsnews.top पर आपके नाम के साथ प्रकाशित कर सकते हैं?

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    1. जी आप प्रकाशित कर सकते हैं परंतु मेरा नाम एवं मेरे ब्लॉग की लिंक वहाँ अवश्य दें . सादर धन्यवाद .

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 21 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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