ओ मांझी ! तेरे गीत बड़े प्यारे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
लहरों के मीत,गीतों में प्रीत,
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
मांझी, तू नदिया का साथी,
तू जाने वो क्या कहती !
कब इठलाती, कब मुस्काती,
कब उसकी आँखें भरती ।
नदिया गाकर किसे बुलाए,
हमें भी बता रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
धारा के कलकल स्वर में,
सुर मिल जाएगा तेरा,
गीत विरह के मत गाना
उस पार पिया का डेरा !
साँझ ढले से पहले मांझी,
पार पहुँचना रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
बीच बीच में भँवर पड़े हैं,
जलधारा है गहरी !
अब पतवार थाम ले कसकर,
ओ प्राणों के प्रहरी !
धारा के संग धारा होकर,
कहाँ तू चला रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
लहरों के मीत,गीतों में प्रीत,
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
लहरों के मीत,गीतों में प्रीत,
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
मांझी, तू नदिया का साथी,
तू जाने वो क्या कहती !
कब इठलाती, कब मुस्काती,
कब उसकी आँखें भरती ।
नदिया गाकर किसे बुलाए,
हमें भी बता रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
धारा के कलकल स्वर में,
सुर मिल जाएगा तेरा,
गीत विरह के मत गाना
उस पार पिया का डेरा !
साँझ ढले से पहले मांझी,
पार पहुँचना रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
बीच बीच में भँवर पड़े हैं,
जलधारा है गहरी !
अब पतवार थाम ले कसकर,
ओ प्राणों के प्रहरी !
धारा के संग धारा होकर,
कहाँ तू चला रे !
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
लहरों के मीत,गीतों में प्रीत,
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!
तू गा रे ! साँझ सकारे !!!