शनिवार, 28 दिसंबर 2024

अब मेरा अधिकार नहीं है

साथ वक्त के दुनिया बदली,
रुत के संग बदला उपवन
रिश्तों की खींचातानी में, 
शिथिल हुए आत्मा के बंधन !
चकाचौंध में चाँदी की 
विस्मरण हुआ अहसासों का,
धूल धूसरित धरती क्या, 
जब चंद्र मिले आकाशों का !
जिस दुनिया ने तुम्हें लुभाया, 
वह मेरा संसार नहीं है !
तेरी पीड़ाओं पर साथी, 
अब मेरा अधिकार नहीं है !

है अपूर्व अनुराग अभी भी, 
किंतु राग का मरण हुआ
भाव अनंत भरे हैं मन में, 
अभिव्यक्ति का क्षरण हुआ !
तेरे पदचिन्हों का मुझसे 
अनजाने अनुकरण हुआ,
शायद कुछ पिछले जन्मों के 
अनुबंधों का स्मरण हुआ !
लेख लिखा है यह विधना ने, 
यह कोई व्यापार नहीं है!
तेरी पीड़ाओं पर साथी, 
अब मेरा अधिकार नहीं है !

सागर में बहते-बहते, 
दो काष्ठ-फलक टकराते हैं
निर्धारित है काल यहाँ ,
संग-संग कितना बह पाते हैं !
किसको वहीं अटक जाना है,
किसको आगे बढ़ना है ?
लहरों की मर्जी पर उनका, 
मिलना और बिछड़ना है !
कैसे साथ निभाते दोनों, 
जब कोई आधार नहीं है
तेरी पीड़ाओं पर साथी, 
अब मेरा अधिकार नहीं है !

सोने-चाँदी धन-दौलत 
हर दोष छिपा ले जाते हैं,
धनहीनों के ही चरित्र पर 
उँगली लोग उठाते हैं !
सारी मुस्कानें हैं तेरी, 
तेरा सब उजियारा है
मेरे अश्रू छुपानेवाला 
बस मेरा अंधियारा है !
अभिनय से अभीष्ट पा लेना, 
यह मेरा व्यवहार नहीं है
तेरी पीड़ाओं पर साथी, 
अब मेरा अधिकार नहीं है ?






12 टिप्‍पणियां:

  1. पीड़ा पर अधिकार कौन चाहता है, वैभव पर ही सब चाहते हैं

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    1. कुछ लोग पागल होते हैं अनिता दी, जो सिर्फ पीड़ा पर ही अधिकार चाहते हैं... दर्द ही बाँटना चाहते हैं वैभव से उन्हें कोई लेना देना नहीं होता !
      पर जब ये अधिकार भी लोग उनसे छीन लेते है....
      बहुत बहुत स्नेह व धन्यवाद दीदी !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।

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  4. चन्द्र खिले जिन आकाशों पर
    वैभव तो उनके हिस्से था
    सुख ना सही दुख में तो निभता
    साथ तेरे मेरे किस्से का
    पर वही
    अभिनय से अभीष्ट पा लेना,
    यह मेरा व्यवहार नहीं है
    तेरी पीड़ाओं पर साथी,
    अब मेरा अधिकार नहीं है ?

    अंतर्वेदना की पराकाष्ठा !
    प्रेम में पीड़ाओं का साथी बनना महत्वपूर्ण है ...सच है सुख तो किसी से भी बाँट लेते हैं ।
    गहन भावों से भरी एक और नायाब कृति आपकी !
    लाजवाब 👌👌👌






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    1. चन्द्र खिले जिन आकाशों पर
      वैभव तो उनके हिस्से था
      सुख ना सही दुख में तो निभता
      साथ तेरे मेरे किस्से का....
      आपके इस सृजन ने तो मेरी कविता की अनकही को कह दिया सुधा जी ! संपूर्णता दे दी कविता को !
      बहुत बहुत प्यार, बहुत आभार !

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  5. शऊर सुंदर काव्य अनुभूति … आनंद आया रचना पढ़ कर

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  6. आपको पढ़ने का मतलब जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूना है । जीवन सुख-दुःख और संघर्षों की राह पर चल कर पूर्णता प्राप्त करता है । जीवन की समग्रता उद्घाटित करती सुन्दर कविता ।

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