साथ वक्त के दुनिया बदली,
रुत के संग बदला उपवन
रिश्तों की खींचातानी में,
रिश्तों की खींचातानी में,
शिथिल हुए आत्मा के बंधन !
चकाचौंध में चाँदी की
चकाचौंध में चाँदी की
विस्मरण हुआ अहसासों का,
धूल धूसरित धरती क्या,
धूल धूसरित धरती क्या,
जब चंद्र मिले आकाशों का !
जिस दुनिया ने तुम्हें लुभाया,
जिस दुनिया ने तुम्हें लुभाया,
वह मेरा संसार नहीं है !
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
अब मेरा अधिकार नहीं है !
है अपूर्व अनुराग अभी भी,
किंतु राग का मरण हुआ
भाव अनंत भरे हैं मन में,
भाव अनंत भरे हैं मन में,
अभिव्यक्ति का क्षरण हुआ !
तेरे पदचिन्हों का मुझसे
तेरे पदचिन्हों का मुझसे
अनजाने अनुकरण हुआ,
शायद कुछ पिछले जन्मों के
शायद कुछ पिछले जन्मों के
अनुबंधों का स्मरण हुआ !
लेख लिखा है यह विधना ने,
लेख लिखा है यह विधना ने,
यह कोई व्यापार नहीं है!
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
अब मेरा अधिकार नहीं है !
सागर में बहते-बहते,
दो काष्ठ-फलक टकराते हैं
निर्धारित है काल यहाँ ,
निर्धारित है काल यहाँ ,
संग-संग कितना बह पाते हैं !
किसको वहीं अटक जाना है,
किसको वहीं अटक जाना है,
किसको आगे बढ़ना है ?
लहरों की मर्जी पर उनका,
लहरों की मर्जी पर उनका,
मिलना और बिछड़ना है !
कैसे साथ निभाते दोनों,
कैसे साथ निभाते दोनों,
जब कोई आधार नहीं है
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
अब मेरा अधिकार नहीं है !
सोने-चाँदी धन-दौलत
हर दोष छिपा ले जाते हैं,
धनहीनों के ही चरित्र पर
धनहीनों के ही चरित्र पर
उँगली लोग उठाते हैं !
सारी मुस्कानें हैं तेरी,
सारी मुस्कानें हैं तेरी,
तेरा सब उजियारा है
मेरे अश्रू छुपानेवाला
मेरे अश्रू छुपानेवाला
बस मेरा अंधियारा है !
अभिनय से अभीष्ट पा लेना,
अभिनय से अभीष्ट पा लेना,
यह मेरा व्यवहार नहीं है
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
अब मेरा अधिकार नहीं है ?
पीड़ा पर अधिकार कौन चाहता है, वैभव पर ही सब चाहते हैं
जवाब देंहटाएंकुछ लोग पागल होते हैं अनिता दी, जो सिर्फ पीड़ा पर ही अधिकार चाहते हैं... दर्द ही बाँटना चाहते हैं वैभव से उन्हें कोई लेना देना नहीं होता !
हटाएंपर जब ये अधिकार भी लोग उनसे छीन लेते है....
बहुत बहुत स्नेह व धन्यवाद दीदी !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 30 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय भाईसाहब
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार रूपा जी
हटाएंचन्द्र खिले जिन आकाशों पर
जवाब देंहटाएंवैभव तो उनके हिस्से था
सुख ना सही दुख में तो निभता
साथ तेरे मेरे किस्से का
पर वही
अभिनय से अभीष्ट पा लेना,
यह मेरा व्यवहार नहीं है
तेरी पीड़ाओं पर साथी,
अब मेरा अधिकार नहीं है ?
अंतर्वेदना की पराकाष्ठा !
प्रेम में पीड़ाओं का साथी बनना महत्वपूर्ण है ...सच है सुख तो किसी से भी बाँट लेते हैं ।
गहन भावों से भरी एक और नायाब कृति आपकी !
लाजवाब 👌👌👌
चन्द्र खिले जिन आकाशों पर
हटाएंवैभव तो उनके हिस्से था
सुख ना सही दुख में तो निभता
साथ तेरे मेरे किस्से का....
आपके इस सृजन ने तो मेरी कविता की अनकही को कह दिया सुधा जी ! संपूर्णता दे दी कविता को !
बहुत बहुत प्यार, बहुत आभार !
उम्दा रचना । बहुत बधाइयाँ ।
जवाब देंहटाएंशऊर सुंदर काव्य अनुभूति … आनंद आया रचना पढ़ कर
जवाब देंहटाएंआपको पढ़ने का मतलब जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूना है । जीवन सुख-दुःख और संघर्षों की राह पर चल कर पूर्णता प्राप्त करता है । जीवन की समग्रता उद्घाटित करती सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो मीना जी !
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