ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
इंतजार फिर एक बरस का ,
हमको करना पड़ता है
सुंदर सुंदर रूप तुम्हारे ,
तब कारीगर गढ़ता है ।
सबसे प्यारी सूरत चुनकर
अपने घर हम लाते हैं ,
तरह तरह के साज सजाकर
बप्पा तुम्हें मनाते हैं ।
कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
कुछ ही दिन की खातिर बप्पा,
मेरे घर तुम आते हो !
मेरे सुख - दुःख के साथी,
इतने में ही बन जाते हो ।
अभी और भी कितने किस्से,
बप्पा तुम्हें बताना था
लेकिन तुमको तो, जिस दिन
जाना था, उस दिन जाना था ।
अगले बरस जल्दी आओगे ,
सोच के यह मन गया बहल !
गणपति बाप्पा मत जाओ ना,
कहते होकर भाव विह्वल !
कैसे करें विदा हम तुमको ,
हो जाते हैं नयन सजल !
ग्यारह दिन ऐसे बीते हैं ,
जैसे बीते ग्यारह पल ! ! !
गणपति बप्पा से अपनत्व भरा वार्तालाप बहुत स्नेहमयी लगा मीना जी ! मंगलमूर्ति गणपति बप्पा को समर्पित भावभीना विदाई गीत ।
जवाब देंहटाएंक्या हम आपकी यह कविता www.kidsnews.top पर आपके नाम के साथ प्रकाशित कर सकते हैं?
जवाब देंहटाएंजी आप प्रकाशित कर सकते हैं परंतु मेरा नाम एवं मेरे ब्लॉग की लिंक वहाँ अवश्य दें . सादर धन्यवाद .
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द शनिवार 21 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर मधुर
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