तड़पेगी याद मेरी, फिर अधूरी चाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
छूकर वह पारिजात, कलियाँ कुछ सद्यजात।
बंद कर पलकें, करोगे, याद कोई मेरी बात।
सिमटेंगे गीत मेरे, फिर तुम्हारी बाँहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
सावन की हो फुहार, या बसंत की बयार ।
मन विजन का मौन तोड़, बाजेगा फिर सितार ।
स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
आसपास, फिर उदास, सुन पड़ेगी इक पुकार ।
फिर तुम्हारे नयनों से, बह चलेगी अश्रूधार ।
जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
बहुत सुंदर । बहुत भावुक अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय जितेन्द्र जी, इतनी त्वरित प्रतिक्रिया देकर रचना का समर्थन करने और उत्साह बढ़ाने के लिए हृदयपूर्वक आपका आभार !!!
हटाएंसुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय अयंगर सर
हटाएंहृदयस्पर्शी मनोहारी कृति..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रिय जिज्ञासा
हटाएंबहुत सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय विश्वमोहनजी।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (०४-०२-२०२१) को 'जन्मदिन पर' (चर्चा अंक-३९६७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय अनिता। चर्चामंच में अपनी रचना का आना मेरे लिए प्रसन्नता की बात होती है।
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
सादर।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सधु चंद्र जी।
हटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रिय शिवम
हटाएंबहुत सुंदर रचना 🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीया शरद जी
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आपका प्रिय श्वेता। पाँच लिंकों में अपनी रचना का चुना जाना मेरे लिए प्रसन्नता की बात होती है।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय ओंकार जी
हटाएंतड़पेगी याद मेरी, फिर अधूरी चाहों में !
जवाब देंहटाएंभटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
उफ्फ !!बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी ,कभी दिनों बाद आपकी कलम बोली है मीना जी,
लिखते रहा कीजिये,इंतजार रहता है आपकी रचनाओं का,सादर नमन
बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रिय कामिनी।
हटाएंसशक्त और भावप्रवण रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।
हटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय गगन शर्मा जी
हटाएंआसपास, फिर उदास, सुन पड़ेगी इक पुकार ।
जवाब देंहटाएंफिर तुम्हारे नयनों से, बह चलेगी अश्रूधार ।
जल उठेंगे फिर चिराग, इश्क की दरगाहों में !
भटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
जब उनके नयनों से अश्रुधार बहने लगे भटकते प्राणों का इश्क मुकम्मल होगा....फिर निश्चय ही दरगाहों में चिराग स्वतः जल उठेंगे...
वाह!!!
कमाल का सृजन।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रिय सुधा
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत सृजन
बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।
हटाएंबेहतरीन और लाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका मीना जी। सस्नेह।
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सराहना के लिए। सादर।
हटाएंवाह अनुपम
जवाब देंहटाएंप्रिय सदा,बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सराहना के लिए।
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर , सराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका इस आशीष के लिए। सादर।
हटाएंबहुत अच्छी पंक्तियां हैं...वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका संदीप जी।
हटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका मनोज जी
हटाएंबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका ज्योति जी। सस्नेह।
हटाएंस्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
जवाब देंहटाएंभटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
प्रिय मीना . मन के विकल भाव बहुत ही मार्मिकता के साथ रचना में मुखर हुए हैं | लयबद्धता ने रचना में चार चाँद लगा दिए हैं | हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह इस भावपूर्ण रचना के लिए |
बहुत बहुत धन्यवाद और स्नेह प्रिय रेणु।
जवाब देंहटाएंहृदयग्राही रचना..।
जवाब देंहटाएंबधाई
स्वर मद्धम बिखरेंगे, फिर सभी दिशाओं में !
हटाएंभटकेंगे प्राण मेरे, फिर तुम्हारी राहों में !!
बेहतरीन लेख.
बहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत सुन्दर संवेदनशील अभीव्यक्ति ... ह्रदय के कोमल बिन्दुओं को छू कर गुज़रती रचना ... मन के तारों को झंकृत करती रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दिगंबर सर
हटाएंबढ़िया रचना ! बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय सतीश जी
हटाएंबहुत बढ़िया कहा ... बेहद खूबसूरत ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अमृता जी
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी।
हटाएंशानदार गीत...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया वर्षा जी।
हटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएंइक़ उम्मीद लिए कि फ़िर प्रियतम गुज़रेंगे उन्ही राहों से
बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसावन की हो फुहार, या बसंत की बयार ।
जवाब देंहटाएंमन विजन का मौन तोड़, बाजेगा फिर सितार ।
बहुत भावप्रवण रचना . खूबसूरत एहसास से लबरेज़.
बहुत सारा स्नेह और धन्यवाद आदरणीया संगीता दीदी
हटाएंलाजवाब पंक्तियाँ !सुन्दर भावों से सजी शानदार कविता! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय संजय जी
हटाएंजला कर चिराग तुमने जो इंतज़ार किया
जवाब देंहटाएंप्राणों को भी उनकी राहों में न्योछावर किया
भला क्यों न लौटेंगे तुम्हारे पास तुम्हारे प्राणप्रिय
उम्मीद की लौ को हर बार ही तो रोशन किया ।
खूबसूरत ग़ज़ल
बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु आदरणीया संगीता दीदी।
हटाएंआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय, बहुत बहुत आभार मेरी रचना पर अपनी अनमोल प्रतिक्रिया देने हेतु।
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