बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

शरद पूर्णिमा के मयंक से

इस जीवन की मरुभूमि पर

सजल सरोवर जैसे तुम !

चुभते पाषाणों के पथ पर

कोमल दूर्वादल से तुम !


पीड़ा की कज्जल बदरी ने

ढाँप दिए खुशियों के तारे,

इक तारा कसकर मुठ्ठी में,

बाँध लिया था, वह थे तुम !


ग्रीष्म ऋतु के सूरज जैसा

दाहक दंभ सहा दुनिया का,

शरद पूर्णिमा के मयंक से

झरते सुधा-बिंदु हो तुम !


इंद्रधनुष के रंगों को

नभ ने बिखराया फूलों पर,

मेरे हिस्से के रंगों की

ईश्वर - प्रदत्त धरोहर तुम !


जोड़-जोड़कर जिनको मैंने

जाने कितने गीत बुने,

मेरे गीतों के शब्दों के

पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!

25 टिप्‍पणियां:

  1. कविता में आपकी आंतरिक खुशी का आभास झलक/छलक रहा है।

    आपकी कविता में रचे बसे उस "तुम" से आपको जीवन भर ऐसी ही खुशियाँ नसीब हो।

    इतनी बहुमूल्य और खुशी टपकाती कविता साझा करने हेतु आपका आभार मीना जी।

    बहुत समय बाद आपके कलम से खुशी जाहिर करती रचना दिखी।

    सदा खुश रहिए।

    अयंगर

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    1. अयंगर जी, आप भी ब्लॉग पर वापसी करें, मेरा विनम्र निवेदन है🙏🙏

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    2. सही कहा रेणु। यह ब्लॉग चिड़िया तो सर का ही आशीर्वाद है पर छोटों को आगे बढ़ाकर बड़े लेखन ही बंद कर दें, यह खटकता है। सर की साधी सादी परंतु सारगर्भित रचनाएँ पुनः पढ़ने को मिलेंगी तो हमारा सौभाग्य होगा।

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    3. आदरणीय अयंगर सर, आपको धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 23-10-2020) को "मैं जब दूर चला जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3863 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 22 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत आभार एवं स्नेह आदरणीया यशोदा दीदी।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २३ अक्टूबर २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. मेरे गीतों के शब्दों के

    पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!

    वाह!

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    1. बहुत आभार एवं स्नेह आदरणीया सधु चंद्र जी

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  6. इंद्रधनुष के रंगों को

    नभ ने बिखराया फूलों पर,

    मेरे हिस्से के रंगों की

    ईश्वर - प्रदत्त धरोहर तुम !

    वाह!!!!
    अद्भुत एवं लाजवाब।
    आपकी इस धरोहर पर भगवान हमेशा अपनी कृपा बनाए रखे।

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    1. प्रिय सुधा, हृदय से धन्यवाद एवं स्नेह। आपका प्रोत्साहन सदैव मिलता रहा है, बहुत बहुत आभार।

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  7. जोड़-जोड़कर जिनको मैंने
    जाने कितने गीत बुने,
    मेरे गीतों के शब्दों के
    पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!
    प्रिय मीना, इस गीत पर क्या लिखूँ?
    अनुरागरत मन की सरस रागिनी, जिससे निसृत कोमल सरल निर्मल भाव सहजता से अंतस को स्पर्श कर रहे हैं.इस अभिनव सृजन पर हार्दिक शुभकामनाएं🙏 ❤❤🌹🌹भावों का ये सफर अनवरत रहे और प्रियतम का साथ अटल हो🌹🌹

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    1. बस आपका आना ही बहुत खुशी दे जाता है प्रिय बहन रेणु। बहुत सारा प्यार !!!

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  8. बहुत ही सुंदर मन को छूती अभिव्यक्ति आदरणीय दी।
    सादर

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    1. आप सी विदुषी पाठिका ब्लॉग पर आती है और विचार प्रकट करती है यह मेरे लिए आनंद और गर्व की बात है प्रिय अनिता। हृदय से आभार व स्नेह !

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  9. पीड़ा की कज्जल बदरी ने

    ढाँप दिए खुशियों के तारे,

    इक तारा कसकर मुठ्ठी में,
    बाँध लिया था, वह थे तुम !बहुत बहुत सुन्दर |

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  10. सादर आभार एवं प्रणाम आदरणीय आलोक सिन्हा सर।

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  11. बेजोड़

    जोड़-जोड़कर जिनको मैंने .....

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