जीने की जिद मैं करती हूँ !
हाँ ! अपने कुछ जख्मों को
सीने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी - सा
जीने की जिद मैं करती हूँ !
कोमल हूँ कलियों से भी
पर पत्थर से कठोर भी हूँ
रहस्यमयी रजनी सी मैं,
चैतन्यमयी भोर सी हूँ
अब अपने जज्बातों को,
कहने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी सा...
मुझको नहीं पुरुष से स्पर्धा,
अपने ऊपर है विश्वास
नहीं ! मैं नहीं वह सीता,
जो झेल सके दो - दो वनवास
अपने अधिकारों को अब,
पाने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी सा...
अबला की गिनती में आना,
अब मुझको स्वीकार नहीं
शांत, विनम्र, मधुर, ममतामय
हूँ लेकिन लाचार नहीं
हर दुर्योधन, दुःशासन से,
लड़ने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी सा...
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बहुत ख़ूबसूरत लिखा है मैम... 🙏
जवाब देंहटाएंप्रणाम है आपको और समस्त नारी समाज को 🙏🙏
बहुत ख़ूबसूरत लिखा है मैम... 🙏
जवाब देंहटाएंप्रणाम है आपको और समस्त नारी समाज को 🙏🙏
सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास को दर्शाती सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंखूब लिखें.
आभार सर । आशीर्वाद यूँ ही मिलता रहे ।
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (27-07-2020) को 'कैनवास' में इस बार मीना शर्मा जी की रचनाएँ (चर्चा अंक 3775) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
हमारी विशेष प्रस्तुति 'कैनवास' (संपूर्ण प्रस्तुति में सिर्फ़ आपकी विशिष्ट रचनाएँ सम्मिलित हैं ) में आपकी यह प्रस्तुति सम्मिलित की गई है।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
मुझको नहीं पुरुष से स्पर्धा,
जवाब देंहटाएंअपने ऊपर है विश्वास
नहीं ! मैं नहीं वह सीता,
जो झेल सके दो - दो वनवास
अपने अधिकारों को अब,
पाने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी सा...
नारी का अपने हक के लिए आवाज उठाना बहुतायत पुरुष से स्पर्धा मान रहा है समाज... और एक और कारण मिल रहा है नारी दमन का...
नारी हूँ तो नारी - सा
जीने की जिद मैं करती हूँ !
हर नारी के मन की आवाज है ये...
कमाल का सृजन।नमन आपको नमन आपकी लेखनी को।
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंअबला की गिनती में आना,
जवाब देंहटाएंअब मुझको स्वीकार नहीं
शांत, विनम्र, मधुर, ममतामय
हूँ लेकिन लाचार नहीं
हर दुर्योधन, दुःशासन से,
लड़ने की जिद मैं करती हूँ !
नारी हूँ तो नारी सा.
बहुत सुंदर प्रिय मीना | नारी के स्वाभिमान का उद्घोष बहुत भावपूर्ण और प्रेरक है |