रविवार, 29 सितंबर 2019

कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?

कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?

इस जग के ताने-बाने में
अपना नाता बुना ना जाए
ना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैं
मार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !
बिन संबोधन, बिन बंधन 
मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?

नियति-नटी के अभिनय से
क्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
कुछ पल तो संग चले, 
बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
कोई भी अनुबंध ना हो, पर
पल-पल कौल निभाऊँ !
कहो ना, कौन से सुर में गाऊँ ?

जाने 'उसने' कब, किसको,
क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
दुनिया जिसको प्रेम कहे,
वो नहीं मेरा सरमाया !
जाते-जाते अपनेपन की, 
सौगातें दे जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ? 

जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?


21 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..अति मनमोहक सुंदर लयात्मक सृजन दी।
    बेहद सराहनीय हमेशा की तरह भाव हृदय को.स्पर्श करते हुये।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 01 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. जी जरूर दी, बहुत धन्यवाद। सादर।

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  4. जाने 'उसने' कब, किसको,
    क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
    दुनिया जिसको प्रेम कहे,
    वो नहीं मेरा सरमाया !
    जाते-जाते अपनेपन की,
    सौगातें दे जाऊँ !
    कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
    बहुत खूब प्रिय मीना बहन प्रेम के दिव्य रूप को समर्पित आपकी ये रचना मन के स्नेहिल भावों से भरी है | इस सुरीले गान के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनायें |

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    1. बहुत सा स्नेह प्रिय रेणु। रचना ब्लॉग पर डालने से ही आपके आने का इंतजार करती हूँ मैं। बार बार धन्यवाद।

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  5. कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
    जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
    मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
    बेहतरीन और उम्दा सृजन मीना जी ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  7. कहो न कौन से सुर में गाऊँ ..... सुंदर भावों से सजी अभिव्यक्ति ।

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  8. वाह! मैं वह गीत कहां से लाऊँ,
    बहुत सुंदर गहन मुग्ध करते भाव मीना जी सुंदर सृजन के लिए बधाई।
    सस्नेह।

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  9. नियति-नटी के अभिनय से
    क्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
    कुछ पल तो संग चले,
    बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
    वाह!!!
    जाने 'उसने' कब, किसको,
    क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
    बहुत ही सटीक एवं लाजवाब सृजन।
    गहन भाव लिए।

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  10. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-2-22) को 'तब गुलमोहर खिलता है'(चर्चा अंक-4346)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  11. वाह!बहुत ही सुंदर मोहक सृजन।
    सादर

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