कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
इस जग के ताने-बाने में
अपना नाता बुना ना जाए
ना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैं
मार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !
बिन संबोधन, बिन बंधन
मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
नियति-नटी के अभिनय से
क्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
कुछ पल तो संग चले,
बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
कोई भी अनुबंध ना हो, पर
पल-पल कौल निभाऊँ !
कहो ना, कौन से सुर में गाऊँ ?
जाने 'उसने' कब, किसको,
क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
दुनिया जिसको प्रेम कहे,
वो नहीं मेरा सरमाया !
जाते-जाते अपनेपन की,
सौगातें दे जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
इस जग के ताने-बाने में
अपना नाता बुना ना जाए
ना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैं
मार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !
बिन संबोधन, बिन बंधन
मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
नियति-नटी के अभिनय से
क्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
कुछ पल तो संग चले,
बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
कोई भी अनुबंध ना हो, पर
पल-पल कौल निभाऊँ !
कहो ना, कौन से सुर में गाऊँ ?
जाने 'उसने' कब, किसको,
क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
दुनिया जिसको प्रेम कहे,
वो नहीं मेरा सरमाया !
जाते-जाते अपनेपन की,
सौगातें दे जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
वाह..अति मनमोहक सुंदर लयात्मक सृजन दी।
जवाब देंहटाएंबेहद सराहनीय हमेशा की तरह भाव हृदय को.स्पर्श करते हुये।
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 01 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजी जरूर दी, बहुत धन्यवाद। सादर।
जवाब देंहटाएंजाने 'उसने' कब, किसको,
जवाब देंहटाएंक्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
दुनिया जिसको प्रेम कहे,
वो नहीं मेरा सरमाया !
जाते-जाते अपनेपन की,
सौगातें दे जाऊँ !
कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
बहुत खूब प्रिय मीना बहन प्रेम के दिव्य रूप को समर्पित आपकी ये रचना मन के स्नेहिल भावों से भरी है | इस सुरीले गान के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनायें |
बहुत सा स्नेह प्रिय रेणु। रचना ब्लॉग पर डालने से ही आपके आने का इंतजार करती हूँ मैं। बार बार धन्यवाद।
हटाएंकहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?
जवाब देंहटाएंजिससे पहुँचे भाव हृदय तक,
मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?
बेहतरीन और उम्दा सृजन मीना जी ।
बहुत बहुत आभार मीना जी
हटाएंशानदार सृजन मीना जी ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ अगस्त २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंउव्वाहहहहह..
जवाब देंहटाएंसादर..
कहो न कौन से सुर में गाऊँ ..... सुंदर भावों से सजी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंगहन सुन्दर अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंगहन सुन्दर अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंवाह! मैं वह गीत कहां से लाऊँ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गहन मुग्ध करते भाव मीना जी सुंदर सृजन के लिए बधाई।
सस्नेह।
नियति-नटी के अभिनय से
जवाब देंहटाएंक्योंकर हम-तुम विस्मित हों,
कुछ पल तो संग चले,
बस यही सोच-सोच हर्षित हों !
वाह!!!
जाने 'उसने' कब, किसको,
क्यों, किससे, यहाँ मिलाया !
बहुत ही सटीक एवं लाजवाब सृजन।
गहन भाव लिए।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-2-22) को 'तब गुलमोहर खिलता है'(चर्चा अंक-4346)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
वाह!बहुत ही सुंदर मोहक सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएं