मंगलवार, 28 अगस्त 2018

तू और याद आया !!!

ना पाने की चाहत, ना खोने की हिम्मत
ये है कैसा जादू, ये है कैसी शिद्दत,
कि जितना तुझे भूलना मैंने चाहा
तू और याद आया, तू और याद आया !!!

तेरे साथ बीता हुआ हर वो लम्हा
तू जब दूर होकर भी, था सामने ही !
तेरा साथ देता था जीने की ताकत
तेरे लफ्ज देते थे हर गम में राहत !
वो पल खो गए अब,जुदा हो गए अब
मगर रूह मेरी, तुझे ढूँढ़ती है !

हवा जब चली तो, कली जब खिली तो
तुझे पास पाया, तुझे पास पाया !
तू और याद आया, तू और याद आया !!!

जहां से तुझे यूँ जुदा करके देखा
तू पत्थर था तुझको खुदा करके देखा !
ये अहसास था, या थी कोई हकीकत
चमकते सितारों को पाने की चाहत !
यही चाह मेरी, मेरा जुर्म है अब !
यही राह मेरी, मेरा जुर्म है अब !

वही राह जिस पर तेरा हाथ थामे
चले दूर इतनी, कि ख़ुद को भुलाया !
तू और याद आया, तू और याद आया !!!

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