श्रावण महीने का दूसरा रविवार...मेरी बहनों ने भीमाशंकर जाने का प्रोग्राम बनाया। मेरी भी कई बरसों की इच्छा पूरी हुई। हमारा आठ लोगों का ग्रुप बन गया था। मेरे और मेरी छोटी बहन के पति, एक सहेली, बहन और सहेली की सास को मिलाकर ।
सुबह के ताजगीभरे समय में यात्रा करने का अलग ही मजा होता है।उसपर बारिश लगातार हो रही थी।रास्ते की हरियाली, मालशेज घाट के झरने और जंगल का सौंदर्य निहारते हम भीमाशंकर पहुँच गए जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
बारिश से बचने के लिए वहाँ छाता कोई काम नहीं आता, तेज हवा से उलट जाता है। खैर भीगते-भीगते हम मंदिर पहुँचे।मंदिर पहाड़ों से घिरा हुआ है। बादल जैसे धरती पर उतर आए थे। आप से पाँच-छः फुट दूर खड़ा इंसान आपको न दिख सके, इतनी धुंध !
बड़ी देर तक कतार में लगकर हम मंदिर के अंदर पहुँचने ही वाले थे कि कुछ लोग चिल्लाए, "साँप, साँप...!" लोग घबराहट में लोहे की रेलिंग पर चढ़ने लगे, जो अक्सर मंदिरों में कतार में खड़े रहने के लिए बनाई जाती है। घबरा तो मैं भी गई मगर अचानक किसी दैवी प्रेरणा से मैंने लोगों को भगदड़ मचाने से रोकना शुरु किया ।
लोग जहाँ से जगह मिले, भागने की कोशिश में थे।बूढ़े और बुजुर्ग लोग भी थे वहाँ। मैं और मेरी सहेली लोगों को चिल्ला-चिल्लाकर नीचे उतरने और भगदड़ न मचाने के लिए प्रार्थना करते रहे । लोगों पर हमारी बात का असर हो रहा था क्योंकि मैंने उनसे कहा कि साँप काटने से कोई मरे ना मरे, भगदड़ मच गई तो कितनों की जान जाएगी ?
ओम नमः शिवाय का जोर-जोर से जाप करते लोगों ने देखा कि साँप ने हजारों की भीड़ में से अपना रास्ता बना लिया और मंदिर की दीवार के नीचे एक छेद में गुम हो गया ।
लोगों की समझदारी से कहें या ईश्वर की महिमा से, पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई । मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया।
------------------------------------------------------------
बहुत अच्छा किया आपने . भगदड़ में सांप कईयों को काट सकता था और लोग एक दूसरे पर गिर कर चोट खा सकते थे.
जवाब देंहटाएंवाह मीना जी ! भगदड़ और अफ़रा-तफ़री में अनगिनत हादसे होते हैं. आपने शांत-चित्त होकर भीड़ को सही राह दिखाई और एक बड़ा हादसा होने से रोक दिया.
जवाब देंहटाएंभोले बाबा के दरबार में आपकी सूझ-बूझ ने सच में किसी गंभीर दुर्घटना को टाल दिया।
जवाब देंहटाएंभीमाशंकर का रास्ता बेहद खूबसूरत है...हम भी गये थे दो वर्ष पहले..आपका संस्मरण पढ़कर वो दृश्य जीवंत हो गया दी।
वाह!
जवाब देंहटाएंयात्रा के रोमांचक क़िस्से अविस्मरणीय होते हैं. संकट के समय समझदारी से निर्णय लेना सुखद परिणाम लाता है.
भोलेनाथ की कृपा अपरम्पार है.
बहुत संक्षेप में आपने यात्रा-वृत्तांत लिखा है, कुछ ज़्यादा पढ़ने की उम्मीद थी.
बाबा भोलेनाथ की कृपा से और सांप की शराफ़त से आप को धर्म-लाभ भी हुआ और प्रकृति के दिव्य-रूप का आनंद भी मिला !
जवाब देंहटाएंॐ नमः शिवाय !
मीना दी, कई बार धार्मिक स्थानों पर भगदड में कई लोग मारे जाते है। आपने बहुत ही सूझबूझ का परिचय देते हुए साहसिक कार्य किया उसके लिए आप बधाई की पात्र है
जवाब देंहटाएंमीना दी, कई बार धार्मिक स्थानों पर भगदड में कई लोग मारे जाते है। आपने बहुत ही सूझबूझ का परिचय देते हुए साहसिक कार्य किया उसके लिए आप बधाई की पात्र है
जवाब देंहटाएंसचमुच बहुत ही रोमांचक अनुभव शेयर किया है आपने...भगवान भोलेनाथ की ही कृपा हुई होगी वरना ऐसी जगहों पर लोग पुलिस की नहीं सुनते...रोचक यात्रा वृतांत।
जवाब देंहटाएंआपका त्वरित निर्णय बहुत कारगर रहा,वरना लोग तो भीड़ में भी भागने लगते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। सराहनीय कदम।
जवाब देंहटाएं