चिड़िया

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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

अपना कहाँ ठिकाना है ?

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मन रे, अपना कहाँ ठिकाना है ? ना संसारी, ना बैरागी, जल सम बहते जाना है, बादल जैसे संग पवन के  यहाँ वहाँ उड़ जाना है ! जोगी जैसे अलख जगाते ...
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मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018

फिर कुछ प्रश्न......

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चूरा चूरा चाँद हो गया, टुकड़े टुकड़े सारे तारे ! मेरे पास यही दोनों थे, अब तुमको मैं क्या दूँ ? बोलो !!! निर्वासित शापित शब्दों में, ...
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शनिवार, 29 सितंबर 2018

वह चंचल चित्रकार !

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आकाश के असीम पटल पर, रूपसी प्रिया का करता चित्रांकन, असंतुष्ट - सा, अस्थिर मति, वह चंचल चित्रकार !!! क्षण - क्षण करता नव प्रयोग, कि...
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Meena sharma
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया। 'अब ना रुकूँगी', 'ओस की बूँदें' (साझा), 'तब गुलमोहर खिलता है' ये तीन कवितासंग्रह प्रकाशित।
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