रविवार, 31 दिसंबर 2023

तज़ुर्बे ही सिखाते हैं....

करेंगे प्रेम जो तुमसे
तुम्हारे गम में रोएँगे,
तुम्हें गर नींद ना आए
भला वो कैसे सोएँगे।

नहीं हिम्मत, तुम्हें पूछूँ -
"दर्द का बोझ है कितना"
मिले जो दर्द के हिस्से
सभी खुद ही तो ढोएँगे।

बजाएँ चैन की बंसी
जो अपनों की मुसीबत में,
गुनाहों से सना दामन
वो किस गंगा में धोएँगे ?

मरी संवेदनाएँ हों दफ़न,
जिस दिल की धरती में
नहीं उगती फसल उसमें
बीज जितने भी बोएँगे। 

समंदर पार कर आए,
जरा सी दूर थी मंजिल
मगर सोचा ना था, कश्ती
किनारे ही डुबोएँगे। 

तज़ुर्बे ही सिखाते हैं
फ़लसफ़ा ज़िंदगी का ये
है अपना क्या जमाने में
जिसे पाएँगे - खोएँगे ।


9 टिप्‍पणियां:

  1. तज़ुर्बे ही सिखाते हैं
    फ़लसफ़ा ज़िंदगी का ये
    है अपना क्या जमाने में
    जिसे पाएँगे - खोएँगे ।

    बहुत खूब,हृदयस्पर्शी सृजन,आपको और आपके पुरे परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें मीना जी

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  2. आहा क्या भावपूर्ण अभिव्यक्ति है दी।
    संवेदनशील लेखनी से फूटी मर्मस्पर्शी रचना।
    दी,व्यस्तता से समय चुराकर थोडा सा ज्यादा लिखिए न कविताएँ।
    सस्नेह प्रणाम।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    नववर्ष मंगलमय हो।


    जवाब देंहटाएं
  3. आहा क्या भावपूर्ण अभिव्यक्ति है दी।
    संवेदनशील लेखनी से फूटी मर्मस्पर्शी रचना।
    दी,व्यस्तता से समय चुराकर थोडा सा ज्यादा लिखिए न कविताएँ।
    सस्नेह प्रणाम।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २ जनवरी २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    नववर्ष मंगलमय हो।


    जवाब देंहटाएं
  4. संवेदना भरा ह्रदय ही दूसरों का दर्द अनुभव कर सकता है, ऐसे ही दिल में प्रेम के फूल भी खिलते हैं, सुंदर सृजन!

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  5. दिगंबर नासवा2 जनवरी 2024 को 2:39 pm बजे

    संवेदनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति

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  6. वाह! हृदयस्पर्शी सृजन मीना जी ।नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  7. बजाएँ चैन की बंसी
    जो अपनों की मुसीबत में,
    गुनाहों से सना दामन
    वो किस गंगा में धोएँगे ?
    वाहवाह !!!!
    एक और नायाब सृजन...
    क्या बात...
    बस लाजवाब👌👌
    नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं मीनाजी !

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