सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

प्रार्थना


हार से बोझिल पगों को ,
जीत का आह्वान देना !
सोच को मेरी, प्रभु !
सत्प्रेरणा का दान देना ।।

प्रेम देना, स्नेह देना,
किंतु मत अहसान देना !
सत्य की कटु औषधि को,
मधुरता, अनुपान देना ।।

भीत, आशंकित हृदय की,
आस्था को मान देना !
पीड़ितों को, शोषितों को,
करूणा का वरदान देना ।।

आत्मबल को खो चुके जो,
उन्हें आत्माभिमान देना !
काँपती दीपक की लौ को,
भोर तक परित्राण देना ।।

उचित-अनुचित, बुरे-अच्छे,
मार्ग का संज्ञान देना !
खो ना जाऊँ भीड़ में,
मेरी अलग पहचान देना ।।

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