सोमवार, 3 फ़रवरी 2020

मौन दुआएँ अमर रहेंगी !

श्वासों की आयु है सीमित
ये नयन भी बुझ ही जाएँगे !
उर में संचित मधुबोलों के
संग्रह भी चुक ही जाएँगे !
है स्पर्श का सुख भी क्षणभंगुर
पर मौन दुआएँ, अमर रहेंगी।

बगिया में अनगिन फूल खिले,
अमराई भी है बौराई ।
बेला फूला, तरुशाखाएँ
पल्लव पुष्पों से गदराईं ।

फूलों के कुम्हलाने पर भी,
मधुमास चले जाने पर भी !
खुशबू को फैलानेवाली
मदमस्त हवाएँ अमर रहेंगी।
मौन दुआएँ, अमर रहेंगी।

नदिया में सिरा देना इक दिन
तुम गीत मेरे, पाती मेरी
धारा में बहते दीपों संग
बहने देना थाती मेरी !

स्मृति में पावन पल भरकर
लौ काँपेगी कुछ क्षण थरथर !
जलते दीपक बुझ जाएँगे
बहती धाराएँ अमर रहेंगी।
मौन दुआएँ, अमर रहेंगी।

ये भाव निरामय, निर्मल-से
कोमलता में हैं मलमल-से
मन के दूषण भी हर लेंगे
ये पावन हैं गंगाजल-से !

मत रिक्त कभी करना इनको
ये मंगल कलश भरे रखना !
ना तुम होगे, ना मैं हूँगी,
उत्सव की प्रथाएँ अमर रहेंगी ।
मौन दुआएँ, अमर रहेंगी।






29 टिप्‍पणियां:

  1. मत रिक्त कभी करना इनको
    ये मंगल कलश भरे रखना !

    सदैव की तरह मार्मिक एवं भावपूर्ण सृजन..
    परंतु इस अर्थयुग मेंं, स्वार्थ युग में, छल युग में हमारी संवेदनाओं का मोल कहाँ है मीना दी,
    प्रतिउत्तर में दुत्कार है, तिरस्कार है और उपहास भी..
    एक ग्लानि-सी हृदय में उठती है, फिर भी देखे ना यह दिल भी कितना पागल है ..?

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    1. कोई बात नहीं शशिभाई। जग से अपेक्षा भी नहीं है कि वह मेरी संवेदनाओं का मोल करे,कोई कर भी नहीं पाएगा क्योंकि अनमोल हैं वे....
      आपसे इतनी जल्दी प्रतिक्रिया पाकर बहुत खुशी हुई भैया। खुश रहिए। सस्नेह आभार।

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    2. भाव भरी अभिव्यंजना.
      लेखन को गति दीजिए.

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    3. बहुत बहुत आभार सर। आपका आशीष और स्नेह सदैव मेरे साथ रहा है। सादर।

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  2. वाह
    भावपूर्ण गीत।
    उत्सव तो हमारे साथ भी है, हमारे पहले भी थे, बाद में भी रहेंगे।
    शानदार जानदार।

    नई पोस्ट लोकतंत्र 

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया रोहितास जी,कृपया आते रहें।

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  3. बहुत सुन्दर और भावप्रवण सृजन मीना जी ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद एवं स्नेह मीना जी। कृपया आगे भी उत्साहवर्धन करती रहें।

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  4. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 5 फरवरी 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया पम्मीजी। हलचल की पाँच लिंकों में शामिल होना मेरे लिए आनंद और गौरव का विषय है।

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  5. जी दी हमेशा की तरह उत्कृष्ट सृजन।
    बेहद भावपूर्ण रचना।

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  6. ना तुम होगे, ना मैं हूँगी,
    उत्सव की प्रथाएँ अमर रहेंगी ।
    ....बहुत ही सुंदर रचना का सृजन हुआ है। मन मुग्ध हो चला। बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ ।

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    1. आपसे पाए गए प्रशंसा के शब्द सदैव ही लेखन की सफलता के परिसूचक होते हैं। आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हाजी, सादर धन्यवाद !

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  7. वाह!!मीना जी ,अद्भुत!!
    ना तुम होगें ,ना मैं हूँगी ,
    उत्सव की प्रथाएं अमर होंगी । वाह!!!!

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    1. आदरणीया शुभाजी, रचना आपको पसंद आई और आपने ब्लॉग पर आकर प्रशंसा के अनमोल शब्द लिखे, इसके लिए मेरी ओर से हृदयपूर्वक धन्यवाद। सस्नेह आभार।

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  8. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन मीना जी ,मंत्रमुग्ध कर गई ,सादर नमन आपको

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    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी, मैं आपकी सभी रचनाएँ पढ़ रही हूँ। आपकी रचनाएँ बहुत हृदयस्पर्शी होती हैं और सरल सहज अंदाज मन को मोह लेता है। बहुत बहुत आभार प्रिय बहना।

      हटाएं
  9. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(11-02-2020 ) को " "प्रेमदिवस नजदीक" "(चर्चा अंक - 3608) पर भी होगी

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ...
    कामिनी सिन्हा

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  10. न के दूषण भी हर लेंगे
    ये पावन हैं गंगाजल-से !
    मत रिक्त कभी करना इनको
    ये मंगल कलश भरे रखना !
    ये मंगल कलश भरे रखना !!!
    ना तुम होगे, ना मैं हूँगी,
    उत्सव की प्रथाएँ अमर रहें
    प्रिय मीना , प्रेम के  सागर से  लहरों की भांति  उठते  दुआओं के  ये  प्रखर  स्वर ,  वेद की  ऋचाओं की भांति अनुगुंजित हो , मन को  असीम  शीतलता का आभास करवा रहे हैं | मौन दुआओं के ग्रन्थ नहीं लिखे गए , इनका कोई ऐतहासिक  दस्तावेज नहीं मिलता   , पर ये सृष्टि के कण -कण में सदैव व्याप्त रही हैं और सर्वत्र इनका अस्तित्व  बना रहेगा   | बहुत ही प्यारी रचना है जिसे काफी दिन पहले पढ़ लिया था  पर लिख ना सकी | ऐसी रचनाएँ हर रोज नहीं लिखी जाती | शब्द नगरी ने भी इसे  अपनी खास रचा बनाया था | ये बहुत गर्व की  बात है | सराहना से   परे रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएं|  

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    1. प्रिय रेणु, भावनाओं के कल्लोल को कहीं तो निकलना होता है ना ! बस इतनी सी बात है।
      ये रचना आपको पसंद आई और आपने अपने कीमती समय में से समय निकालकर इतना सुंदर विवेचन किया। मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि आप जैसी बहना पाठक के रूप में मिली। बहुत सारा प्यार।

      हटाएं
  11. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (27-07-2020) को 'कैनवास' में इस बार मीना शर्मा जी की रचनाएँ (चर्चा अंक 3775) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    हमारी विशेष प्रस्तुति 'कैनवास' (संपूर्ण प्रस्तुति में सिर्फ़ आपकी विशिष्ट रचनाएँ सम्मिलित हैं ) में आपकी यह प्रस्तुति सम्मिलित की गई है।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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  12. मीना जी इतनी उम्दा रचनायें पढ़वाने के ल‍िए धन्यवाद।
    मन को भ‍िगो गईं आपकी ये पंक्त‍ियां...क‍ि
    ''नदिया में सिरा देना इक दिन
    तुम गीत मेरे, पाती मेरी
    धारा में बहते दीपों संग
    बहने देना थाती मेरी !
    स्मृति में पावन पल भरकर
    लौ काँपेगी कुछ क्षण थरथर !
    लौ काँपेगी कुछ क्षण थरथर !!!''

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  13. ये भाव निरामय, निर्मल-से
    कोमलता में हैं मलमल-से
    मन के दूषण भी हर लेंगे
    ये पावन हैं गंगाजल-से !
    मत रिक्त कभी करना इनको
    ये मंगल कलश भरे रखना !
    ये मंगल कलश भरे रखना !!! वाह बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना सखी 👌

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  14. ये भाव निरामय, निर्मल-से
    कोमलता में हैं मलमल-से
    मन के दूषण भी हर लेंगे
    ये पावन हैं गंगाजल-से !
    मत रिक्त कभी करना इनको
    ये मंगल कलश भरे रखना !
    ये मंगल कलश भरे रखना !!!
    वाह!!!!
    निशब्द हूँ बस लाजवाब....
    🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐

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  15. इतने अच्छे गीत को पढ़ने के उपरांत कुछ टिप्पणी करने के लिए शेष नहीं प्रतीत होता | मन यही करता है कि इसे बारम्बार पढ़ा जाए एवं अक्षर-अक्षर में निहित भाव को पुनः-पुनः अनुभव किया जाए |

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  16. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-2-22) को 'तब गुलमोहर खिलता है'(चर्चा अंक-4346)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  17. आपके लेखन की सहजता मन मोह लेती है।
    बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन।
    सादर

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