आई दिवाली फिर से आई
शुरू हो गई साफ सफाई
आई दिवाली आई !
साफ सफाई सीमित घर तक,
रस्तों पर कचरे का जमघट,
बाजारों की फीकी रौनक,
मिली नहीं है अब तक बोनस,
कैसे बने मिठाई !
आई दिवाली आई !
हुआ दिवाली महँगा सौदा,
पनप रहा ईर्ष्या का पौधा,
पहले सा ना वह अपनापन,
हुआ दिखावे का अब प्रचलन,
खत्म हुई पहुनाई !
कभी धमाके से आती थी,
खूब पटाखों में छाती थी,
मीठा मन था मीठी बोली,
अब कैसी दीवाली, होली !!!
बेबस चेहरों की मायूसी,
मजदूरों की देख उदासी,
सारी खुशियाँ आँख चुरातीं,
त्योहारों की खानापूर्ती,
करती है महँगाई !
आई दिवाली आई !
शुरू हो गई साफ सफाई
आई दिवाली आई !
साफ सफाई सीमित घर तक,
रस्तों पर कचरे का जमघट,
बाजारों की फीकी रौनक,
मिली नहीं है अब तक बोनस,
कैसे बने मिठाई !
आई दिवाली आई !
हुआ दिवाली महँगा सौदा,
पनप रहा ईर्ष्या का पौधा,
पहले सा ना वह अपनापन,
हुआ दिखावे का अब प्रचलन,
खत्म हुई पहुनाई !
कभी धमाके से आती थी,
खूब पटाखों में छाती थी,
मीठा मन था मीठी बोली,
अब कैसी दीवाली, होली !!!
बेबस चेहरों की मायूसी,
मजदूरों की देख उदासी,
सारी खुशियाँ आँख चुरातीं,
त्योहारों की खानापूर्ती,
करती है महँगाई !
आई दिवाली आई !
वर्तमान परिस्थितियों में आपकी रचना सटीक बैठती है।
जवाब देंहटाएंअब इस बनावटी दुनिया को देख , इच्छाएँ अवश्य मर गयी हैं दी।
पता नहीं किधर से आस्तीन के सांप निकल आए।
समसामयिक विसंगतियों पर चिन्तन करती सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंमीना दी, वर्तमान स्थिति को देखते हुए सटीक प्रस्तूति। लेकिन हम भारतीय हैं और इन विपरीत परिस्थितियों में भी दिवाली धूमधाम से ही मनाने का जज्बा रखते हैं। चाहे तो कर्जा लेकर मनाएंगे लेकिन मनाएंगे जरूर।
जवाब देंहटाएंमहंगाई की मार सब पर भारी
जवाब देंहटाएंयहां तक कि हमारे त्योहार भी अछूते ना रहे।
सुंदर।
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉 लोग बोले है बुरा लगता है
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२१ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
बेहतरीन रचना।महंगाई से बेवस और लाचार लोगों के दर्द व्यक्त करती सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व सटीक रचना मीना जी ...। एक तरफ मँहगाई दूसरी ओर बेरोजगारी ,कैसे मने त्यौहार ....?
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंसामायिक परिस्थितियों का सटीक काव्यात्मक चित्ररण।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंसच में इस मंहगाई में क्या दीवाली....
समसामयिक ...लाजवाब कृति
वाह!!!
बहुत सुंदर, बच्चों के पाठ्यपुस्तक में ली जानी चाहिए।
जवाब देंहटाएंअनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंकभी धमाके से आती थी,
जवाब देंहटाएंखूब पटाखों में छाती थी,
मीठा मन था मीठी बोली,
अब कैसी दीवाली, होली !!!
बहुत सुंदर रचना प्रिय मीना बहन ! बाल सुलभ भावों से भरी मासूम सी कविता !!! दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें औरबधाई आपको |