नए ब्लॉग का श्रीगणेश
- आज से अपनी सभी कविताओं को अपने पुराने ब्लॉग 'चिड़िया' से नए ब्लॉग 'प्रतिध्वनि' पर डाल रही हूँ। पिछले कई महीनों से मैं अपने ब्लॉग 'चिड़िया' के लिंक्स फेसबुक पर शेयर नहीं कर पा रही। समस्या क्या है, पता नहीं लग रहा। मैंने कई बार इसकी शिकायत भी दर्ज कराई पर कुछ नहीं हुआ। सिर्फ यह पता चला कि यदि कोई फेसबुक कम्यूनिटी आपकी किसी पोस्ट को अस्वीकृत कर देती है तो फेसबुक आपको आगे उससे संबंधित पोस्ट साझा करने की अनुमति नहीं देता।
- मैंने दिमाग पर जोर डाला तो याद आया कि 15 - 16 फरवरी के आसपास मैंने पहली बार iblogger पर अपनी एक कविता की लिंक साझा की थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया था । मैं उन दिनों पारिवारिक झमेलों में परेशान थी सो मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और करीब दो तीन सप्ताह कुछ लिखा भी नहीं। इस समय गूगल प्लस के बंद होने का ऐलान हो रहा था और साथी ब्लॉगर्स फेसबुक का रुख कर चुके थे । गूगल प्लस के बंद होने पर हमारी रचनाओं को नए पाठकों तक पहुँचाने के लिए यह जरूरी भी था। सो करीब पच्चीस दिन के अंतराल के बाद जब मैंने अपनी नई रचना लिखी तो उसे फेसबुक पर साझा करना चाहा। फेसबुक ने उसे अस्वीकार कर दिया।
- अब हाल यह है कि यदि मैं किसी और की पोस्ट पर कमेंट में भी ब्लॉग 'चिड़िया' की लिंक देना चाहूँ या कोई और मेरे ब्लॉग की लिंक साझा करना चाहे तो फेसबुक उसे पोस्ट नहीं होने देता। वहाँ एक तरह से 'चिड़िया' को बैन कर दिया गया है। अब मैं अपनी रचनाओं को नए ब्लॉग 'प्रतिध्वनि' पर साझा करूँगी। मुझे विश्वास है कि आप सबका साथ और सहयोग नए ब्लॉग पर भी मिलता रहेगा।
जी मीना दी
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएँ अनमोल है।
यह वाह- वाह की दुनिया से
दूर संवेदनाओं से भरी हुई हैं।
इनमें जो वेदना है , वह बनावटी , मिलावटी और सजावटी नहीं है।
मुझे बहुत पसंद है, यह दिखावटी भी नहीं है।
प्रणाम।
शशिभाई, आपकी इस बात से मुझे बहुत संतोष हुआ है। सादर, सस्नेह आभार।
हटाएंमैं भी शशि जी से सहमत हूँ ,आप की रचनाओं में एक अलग ही भाव हैं ,हम आप के साथ प्रतिध्वनि पर भी रहेंगे ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंये शब्द मेरे लेखन प्रवाह का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे कामिनी जी। बहुत सा स्नेह एवं आभार।
हटाएंजो हुआ उसे बुला सकते नहीं
जवाब देंहटाएंरह-रह कर याद आते रहेंगे
आज एक जन्म और सही
कृपया प्रतिध्वनि का लिंक दीजिए
सादर
https://rwmeena.blogspot.com/
हटाएंजी यशोदा दी। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।
शब्दो की मीनाकारी की
जवाब देंहटाएंआज भावों से फिर ठनी।
कोमल कांत कवितावली की
गूंजेगी पल पल 'प्रतिध्वनि'!
आपके इस आशीर्वाद से मन भावविभोर हो उठा है। सादर धन्यवाद व्यक्त करती हूँ।
हटाएंमीना दी, कोई बात नहीं। मुझे आपकी रचनाएं पसंद हैं इसलिए मैं प्रतिध्वनि पर भी आपके साथ हूँ। नए ब्लॉग की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंज्योति जी, आप लोगों का स्नेह ही है जो मेरा ब्लॉग लेखन अब तक चल रहा है वरना ये तो बंद ही हो गया होता। बहुत सारा धन्यवाद एवं स्नेह।
हटाएंस्वागत है आपका नए ब्लॉग पर ...
जवाब देंहटाएंजी आभार सर !
हटाएं