आँखों में बसा लो स्वप्न मेरा
होठों में दबा लो गीत मेरे !
बंजारे मन का ठौर कहाँ,
ढूँढ़ोगे तुम मनमीत मेरे !
बस एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
फूलों की खुशबू बिखरेगी,
तो बाग भी सारा महकेगा ।
धीमे से आना द्वार मेरे,
आहट से ये मन बहकेगा !
तुम मेरी कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
तारों में बीच में मत खोजो,
चंदा के गुमसुम मुखड़े को,
रूठे रहने दो आज मुझे,
मत खत्म करो इस झगड़े को !
फिर एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
नदिया के किनारे सूने क्यों,
क्यों सागरतट है वीराना ?
तुम जिद ना करो यूँ सुनने की,
जिद्दी लहरों का अफसाना !
अनकही, कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
मत क्षुद्र पतंगे - सा जलना,
नदिया-सागर सम मत मिलना !
धरती-नभ जैसे मिलकर हम,
रच लेंगे एक क्षितिज अपना !
हाँ, यही कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
होठों में दबा लो गीत मेरे !
बंजारे मन का ठौर कहाँ,
ढूँढ़ोगे तुम मनमीत मेरे !
बस एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
फूलों की खुशबू बिखरेगी,
तो बाग भी सारा महकेगा ।
धीमे से आना द्वार मेरे,
आहट से ये मन बहकेगा !
तुम मेरी कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
तारों में बीच में मत खोजो,
चंदा के गुमसुम मुखड़े को,
रूठे रहने दो आज मुझे,
मत खत्म करो इस झगड़े को !
फिर एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
नदिया के किनारे सूने क्यों,
क्यों सागरतट है वीराना ?
तुम जिद ना करो यूँ सुनने की,
जिद्दी लहरों का अफसाना !
अनकही, कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
मत क्षुद्र पतंगे - सा जलना,
नदिया-सागर सम मत मिलना !
धरती-नभ जैसे मिलकर हम,
रच लेंगे एक क्षितिज अपना !
हाँ, यही कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
एक कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!!
वाहह्हह... मन की आकुल पीड़ा का रसमय गान...आत्मानुराग का अद्भुत गान..दी बेहद सुंदर लिखा आपने आपकी लेखनी से निसृत हर रंग हर भाव मन को छू लेता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दी👌👌
सादर एवं सस्नेह आभार
हटाएंमत क्षुद्र पतंगे - सा जलना,
जवाब देंहटाएंनदिया-सागर सम मत मिलना !
धरती-नभ जैसे मिलकर हम,
रच लेंगे एक क्षितिज अपना !
बहुत ही सुंदर ,दिल को छूता हुआ ,लाजबाब सादर स्नेह मीना जी
सादर धन्यवाद
हटाएंउफ़ ..
जवाब देंहटाएंबधाई आपको !
सादर धन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 11 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर आभार
हटाएंमत क्षुद्र पतंगे - सा जलना,
जवाब देंहटाएंनदिया-सागर सम मत मिलना !
धरती-नभ जैसे मिलकर हम,
रच लेंगे एक क्षितिज अपना !
हाँ, यही कहानी अनजानी
सीने में छुपाकर जी लेना !!! बहुत सुंदर
सादर आभार
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 10 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर आभार
हटाएंवाह बहुत सुन्दर मीना जी ¡
जवाब देंहटाएंमन की अनुरागी दशा को कोमलता से शब्दों में पिरोया है आपने ।
अनुपम सृजन ।
सादर आभार
हटाएंकहानियाँ सीने में कहाँ चुप पारी हैं ... महक उठती हैं खुशबू के साथ ...
जवाब देंहटाएंदिल के गहरे एहसास प्रेम के रंगों के साथ रचना में उभर आये हैं ... सुन्दर रचना ...
सादर आभार
हटाएंबहुत सुन्दर आदरणीया
जवाब देंहटाएंसादर
सादर आभार
हटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.... बार बार पढने योग्य बहुत ही लाजवाब।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/117.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंरूठे रहने दो आज मुझे,
जवाब देंहटाएंमत खत्म करो इस झगड़े को !...... वाह!!!!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 18 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं