ज़िंदा हूँ साँसें अब भी चल रही हैं मेरे दोस्त !
थकी-थकी सी शाम, ढल रही है मेरे दोस्त !
बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का
बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का
कि रुत बहार की निकल रही है मेरे दोस्त !
महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू
परवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !
अहसास होगा अपनी ख़ता का कभी तुम्हें
रूह इस खयाल से, बहल रही है मेरे दोस्त !
बहला रहे हैं दिल को गलतफहमियों से हम
कैसी बुरी आदत ये पल रही है मेरे दोस्त !
दिन में पचास रंग बदलता रहा सूरज
धरती भी रंग अब, बदल रही है मेरे दोस्त !
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !
महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू
परवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !
अहसास होगा अपनी ख़ता का कभी तुम्हें
रूह इस खयाल से, बहल रही है मेरे दोस्त !
बहला रहे हैं दिल को गलतफहमियों से हम
कैसी बुरी आदत ये पल रही है मेरे दोस्त !
दिन में पचास रंग बदलता रहा सूरज
धरती भी रंग अब, बदल रही है मेरे दोस्त !
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
धड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
जवाब देंहटाएंधड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त !
बहुत सुंदर.
बुलबुल ने साथ छोड़ दिया सूखे गुलों का
जवाब देंहटाएंकि रुत बहार की निकल रही है मेरे दोस्त !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, मीना दी।
दिल के उसी कोने को जरा छू के देखना
जवाब देंहटाएंधड़कन वहाँ मेरी मचल रही है मेरे दोस्त
बहुत सुंदर मीना जी ,सादर स्नेह
गज़ब..वाहह्हह दी...बस लाज़वाब.. हर शेर शानदार और अर्थपूर्ण..हमेशा की तरह एक और सराहनीय सृजन👌👌
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/05/2019 की बुलेटिन, " १ मई - मजदूर दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत ही सुन्दर सखी
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन प्रस्तुति मीना जी
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर,सस्नेह आभार प्रिय श्वेता बहन।
हटाएंजिंदा हूं मैं सांसें अभी भी चल रही हैं। बहुत ही शानदार और दिल को छू जाने वालीं पंक्तियों से सुसज्जित रचना शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय। ब्लॉग पर स्वागत है आपका।
हटाएंबहुत बहुत सुंदर मीना जी दिल के एहसास कितने गहरे।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
मेरी साधारण सी रचना पर इतने स्नेह के साथ अपनी राय रखनेवाले आप सभी की मैं हृदयतल से सदैव आभारी रहूँगी। कृपया आगे भी साथ एवं स्नेह बनाए रखें।
जवाब देंहटाएंवाह अतिसुन्दर ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह एक और नायाब सृजन..
बहुत ही लाजवाब।
महफिल में कौन देख सका शमा के आँसू
जवाब देंहटाएंपरवाने से पहले वो जल रही है मेरे दोस्त !
लाजवाब और बेहतरीन....,
मन के मलाल की मार्मिक अभिव्यक्ति !!!
जवाब देंहटाएंसभी का तहेदिल से शुक्रिया ब्लॉग पर आने एवं प्रोत्साहन देने के लिए।
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