चिड़िया

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बुधवार, 22 मई 2024

बीते बरबस, बरस संग के

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तन का जब सौंदर्य रहे ना, ना ही मन का यौक्न ! मूक, चहकती चंचल चिड़िया  ताके सूखा उपवन । हृदय तुम्हारा तब भी होगा क्या आतुर मिलने को ? बीते बरब...
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सोमवार, 1 अप्रैल 2024

फिर सुबह के गीत लिख दो साथियो !

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फिर सुबह के गीत लिख दो साथियो ! नफरतों में प्रीत लिख दो साथियो ! तुम लहू के रंग को पहचान लो, तुम हवाओं की दिशा को जान लो, कर ना पाए अब तुम्ह...
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शुक्रवार, 29 मार्च 2024

बाबासाहब आंबेडकर

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कितने बाबा यहाँ हो गए, बाबासाहेब जैसा कौन ? जो जल को चवदार बना दे जादूगर था ऐसा कौन ? ना पैसा, ना दौलत - शोहरत ना कोई रखवाला था, अपने दम पर ...
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Meena sharma
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया। 'अब ना रुकूँगी', 'ओस की बूँदें' (साझा), 'तब गुलमोहर खिलता है' ये तीन कवितासंग्रह प्रकाशित।
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