चिड़िया

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बुधवार, 13 मई 2020

मंजिल नहीं यह बावरे !

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चल, दूर कहीं चल मन मेरे मंजिल नहीं यह बावरे !!! पाँव डगमग हो रहे औ' नयन छ्लछ्ल हो रहे, मीत बनकर जॊ मिले थे वह भरोसा खो रहे। प्रे...
19 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 2 मई 2020

अब ना रुकूँगी - 2

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छोड़कर बचपना जरा मैच्योर हो जाऊँ यही चाहते थे ना तुम ? कोशिश कर रही हूँ। बस कुछ ही दिनों में पचासवाँ लग जाएगा, पचासों तरह की गलतियाँ ...
15 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 8 अप्रैल 2020

क्या वतन से रिश्ता कुछ भी नहीं ?

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धर्म से रिश्ता सब कुछ है,क्या वतन से रिश्ता कुछ भी नहीं? ओ भाई मेरे,ओ बंधु मेरे,क्या अमन से रिश्ता कुछ भी नहीं? जिस माटी में तुम जन्मे, ...
29 टिप्‍पणियां:
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Meena sharma
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया। 'अब ना रुकूँगी', 'ओस की बूँदें' (साझा), 'तब गुलमोहर खिलता है' ये तीन कवितासंग्रह प्रकाशित।
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