चिड़िया
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बुधवार, 13 मई 2020
मंजिल नहीं यह बावरे !
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चल, दूर कहीं चल मन मेरे मंजिल नहीं यह बावरे !!! पाँव डगमग हो रहे औ' नयन छ्लछ्ल हो रहे, मीत बनकर जॊ मिले थे वह भरोसा खो रहे। प्रे...
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शनिवार, 2 मई 2020
अब ना रुकूँगी - 2
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छोड़कर बचपना जरा मैच्योर हो जाऊँ यही चाहते थे ना तुम ? कोशिश कर रही हूँ। बस कुछ ही दिनों में पचासवाँ लग जाएगा, पचासों तरह की गलतियाँ ...
15 टिप्पणियां:
बुधवार, 8 अप्रैल 2020
क्या वतन से रिश्ता कुछ भी नहीं ?
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धर्म से रिश्ता सब कुछ है,क्या वतन से रिश्ता कुछ भी नहीं? ओ भाई मेरे,ओ बंधु मेरे,क्या अमन से रिश्ता कुछ भी नहीं? जिस माटी में तुम जन्मे, ...
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