चिड़िया

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मंगलवार, 26 जून 2018

तुम्हें खोजती हूँ...

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अकेलेपन की  दीवारों को टटोलती, खोजती हूँ - कोई ऐसी खिड़की जिसमें से आती हो, चिड़ियों की चूँ-चूँ फूलों की खुशबू, बारिश की बूँद...
बुधवार, 13 जून 2018

आओ मेघा, बरसो ना !

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पर्जन्य अप्सरा के नूपुर झंकृत होने दो अब सस्वर, अंबर भावुक - सा हो जाए धाराएँ बरसें झर झर झर । इस मन की बंजर भूमि को थोड़ा - सा उर्व...
10 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 7 जून 2018

व्यथा

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*व्यथा*  जीवन के पच्चीस वसंत फुलवारी को गुलज़ार रखने में, जीवन की पच्चीस बरसातें आँगन को हरा रखने में, जीवन के पच्चीस ग्रीष्म चूल्हे ...
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Meena sharma
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया। 'अब ना रुकूँगी', 'ओस की बूँदें' (साझा), 'तब गुलमोहर खिलता है' ये तीन कवितासंग्रह प्रकाशित।
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