प्रेम....
जब नया नया होता है,
तब लगता है कि प्रेम है -
गुनगुनाना, लजाना,
सिहरना, सिमटना !
समझने की कोशिश,
कि हो क्या रहा है ?
फिर कुछ समय बाद लगता है -
प्रेम ये नहीं, प्रेम तो है -
रूठना - मनाना,
झगड़ना - सताना,
अधिकार जताना, जबरन बुलाना !
वक्त के साथ
फिर रूप बदलता है प्रेम का !
और लगने लगता है कि प्रेम है -
नयनों का सावन,
प्रतीक्षा की घड़ियाँ !
खोने का डर !
छिन जाने की आशंका !
समय के साथ साथ
प्रेम भी प्रौढ होता है
और नए अवतार में प्रकटता है !
अहसास होता है कि प्रेम है -
एक दूजे के हित की चिंता,
बिछोह के गम के साथ
जितना भी संग मिला, उसमें संतोष !
छोड़ देना हक की बातें !
'बस तुम खुश रहो' की कामना !
उम्र के एक मुकाम पर
पहुँचने के बाद,
बस यही लगता है कि प्रेम है -
प्रार्थना, दुआ, सलामती की कामना
दो हृदयों का एक हो जाना,
और उनकी भावनाओं का भी।
ईश्वर तुम्हें हमेशा खुश रखे,
मौन दुआओं का असर
सबसे अधिक होता है !!!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह! यथार्थ की अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपने बिलकुल सही कहा है, पर प्रेम अपने हर रूप में उतना ही सुंदर होता है, अति सुंदर सृजन !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन 🙏
जवाब देंहटाएंप्रेम का हर रूप बड़े ही प्रेम से प्रेम में रहकर व्यक्त किया है आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब
वाह!!!
प्रेम के हर पड़ाव पर उसके मर्म को समझा दिया आपने मीना जी, बेहद प्यारी अभिव्यक्ति सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंमौन दुआओं का असर सबसे अधिक होता है,
जवाब देंहटाएंक्या खूब बात कही है, सार्थक और सच्ची रचना बहुत बधाई दिल से।
बहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम जब प्रार्थना बन जाता है ये उसका सर्वोत्तम रूप होता है 👌मौन दुआएँ ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है और प्रेम की भी 👌
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