किसने कितना साथ निभाया
मत पूछो !
कौन है अपना, कौन पराया
मत पूछो !
सबक दे गया मुझको
हर मिलने वाला,
किसने कौन सा पाठ पढ़ाया
मत पूछो !
जिसका जीवन जलता
जग की भट्टी में,
कैसे उसको जीना आया
मत पूछो !
चादर की लंबाई नाप
ना पाया जो,
उसने कितना पग फैलाया,
मत पूछो !
सबको मालूम, दुनिया एक
सराय है !
देगा कितना, कौन किराया
मत पूछो !
फटते बादल, दरके पर्वत,
झुलसे जंगल !
क्यूँ कुदरत को गुस्सा आया
मत पूछो !