मुझे यह बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है कि आदरणीय माडभूषि रंगराज अयंगर जी की सातवीं पुस्तक "हिंदी भाषा : सुझाव और विमर्श" का प्रकाशन कार्य संपूर्ण हो चुका है और यह पाठकों के लिए अमेजन तथा बुक रिवर पर उपलब्ध है।
पुस्तक यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।
अमेजन से प्राप्त करने के लिए :
https://www.amazon.in/-/hi/dp/9355152256/
बुक रिवर से प्राप्त करने के लिए :
https://www.store.bookrivers.com/product/hindi-bhasha-sujhaw-aur-vimarsh/
इसके अलावा आप Rangraj Iyengar जी से
84620 21340 इस नंबर पर संपर्क कर उनसे भी पुस्तक प्राप्त कर सकते हैं।
यह पुस्तक पूरी तरह से हिन्दी भाषा को समर्पित है। विशेषकर बच्चों को हिंदी भाषा की अच्छी शिक्षा देना और उसके लिए शिक्षक शिक्षिकाओं को विभिन्न विधाओं से समृद्ध करना ही इस पुस्तक का प्रमुख ध्येय है। हिंदी क्यों सीखें, कैसे सिखाएँ,उच्चारण पर ध्यानाकर्षण, बोलना - पढ़ना - लिखना जैसे मुख्य विषयों पर विशेष जोर दिया गया है।राष्ट्र भाषा - राजभाषा में अंतर स्पष्ट किया गया है ।हिंदी वर्णों के सही उच्चारण के लिए उदाहरण सहित विशेष तकनीक का उल्लेख किया गया है जिससे छोटी उम्र और कक्षाओं में बच्चों को सही उच्चारण सिखाया जा सके।
हिंदी की एक पूरी लेख मंजूषा पाठकों को एक जगह उपलब्ध कराई गई है।
देश में हिंदी की दशा का उल्लेख करते हुए उसे सुधारने के तरीकों पर भी चर्चा और सुझाव इस पुस्तक में उपलब्ध हैं । व्यवहारिक हिंदी के गुण दोषों की भी चर्चा है। परभाषा शब्द और गुणों को अपनाने की अनुशंसा की गई है।
भारत के विभिन्न राज्यों व क्षेत्रों में हिंदी के उच्चारण पर एक लेख में संदर्भ सहित विशेष चर्चा की गई है और सुझाव है कि हालातों को समझते हुए हम लोगों को सही उच्चारण की तरफ प्रेरित करें ,न कि उन पर हँसें।
संक्षिप्त में कहा जा सकता है कि पुस्तक हिंदी के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक अत्यंत ही उपयोगी दस्तावेज है।