फिर कुछ बातें याद आती हैं
फिर कुछ लम्हे तड़पाते हैं !
कोई खुदा-सा हो जाता है
और हम सजदा कर जाते हैं।
रिश्तों के गहरे दरिया में
बहते हैं टूटी कश्ती से !
लहरों के संग बहते-बहते
टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं ।
सर्द है रुत, है सर्द हवा
और सर्द सुलूक तुम्हारा है !
बर्फ से ठंडे अल्फाजों से,
अपने दिल को बहलाते हैं।
एक जुनूनी बादल की,
जिद पर मौसम फिर भीगेगा !
फिर गीले होंगे खत मेरे
पंछी जिनको ले जाते हैं।
छोड़ भी देते दुनिया, पर
इस दुनिया में ही तुम भी हो !
ऐसा ही इक गीत था जो
तुमने गाया, अब हम गाते हैं।
फिर कुछ लम्हे तड़पाते हैं !
कोई खुदा-सा हो जाता है
और हम सजदा कर जाते हैं।
रिश्तों के गहरे दरिया में
बहते हैं टूटी कश्ती से !
लहरों के संग बहते-बहते
टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं ।
सर्द है रुत, है सर्द हवा
और सर्द सुलूक तुम्हारा है !
बर्फ से ठंडे अल्फाजों से,
अपने दिल को बहलाते हैं।
एक जुनूनी बादल की,
जिद पर मौसम फिर भीगेगा !
फिर गीले होंगे खत मेरे
पंछी जिनको ले जाते हैं।
छोड़ भी देते दुनिया, पर
इस दुनिया में ही तुम भी हो !
ऐसा ही इक गीत था जो
तुमने गाया, अब हम गाते हैं।